भाजपा की रणनीति:
- दलित समुदाय की ओर ध्यान:
- 2011 जनगणना के आंकड़े: हरियाणा की जनसंख्या में अनुसूचित जाति (दलित) की हिस्सेदारी 20% से अधिक है।
- भाजपा की चुनावी स्थिति: 2014 में भाजपा ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 17 विधानसभा सीटों में से 9 पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2019 में यह संख्या घटकर 5 रह गई। कांग्रेस ने इसी अवधि में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाई।
- हालिया चुनाव परिणाम: लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर अपने वोट शेयर में सुधार किया है, और दलित वोटरों का रुख भाजपा से भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) की ओर मोड़ गया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका:
- आरक्षण की गारंटी: मोदी ने दलितों को आश्वस्त किया कि भाजपा का आरक्षण समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा दिए गए आरक्षण का एक कण भी नहीं लूटा जाएगा।
- चुनावी अभियान: मोदी की रैली के बाद, भाजपा ने दलितों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हुए राज्य भर में सार्वजनिक रैलियों और कार्यक्रमों में फोकस किया है।
- राजनीतिक विश्लेषण:
- प्रोफेसर रोनकी राम का बयान: पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया कि भाजपा के खिलाफ आरक्षण समाप्त करने का नैरेटिव अभी भी दलितों के मन में गहराई से बैठा हुआ है, और इसे ठीक करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की हताशा में किए गए प्रयासों से खोया हुआ विश्वास वापस पाना कठिन होगा।
जाट समुदाय पर ध्यान:
- कृषि कानूनों के बाद गुस्सा:
- किसान आंदोलन: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के चलते भाजपा को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह गुस्सा स्पष्ट था।
- जाट समुदाय की स्थिति:
- आबादी का प्रतिशत: जाट हरियाणा की आबादी का लगभग 22% हैं और प्रमुख कृषि वर्ग हैं।
- भाजपा की रणनीति: भाजपा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को नियुक्त किया, जो ओबीसी नेता हैं, ताकि ओबीसी वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत कर सके।
- अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी):
- ओबीसी की भूमिका: हरियाणा में ओबीसी वर्ग का हिस्सा लगभग 35% है। भाजपा ने अपनी रणनीति को इस वर्ग के इर्द-गिर्द भी केंद्रित किया है।
निष्कर्ष:
भाजपा हरियाणा में चुनावी मैदान में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दलित और जाट दोनों समुदायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। दलितों को अपने समर्थन में लाने के लिए भाजपा ने आरक्षण के मुद्दे पर आश्वासन दिया है, जबकि जाटों और ओबीसी वर्ग को संतुष्ट करने के लिए नई नियुक्तियां की हैं। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दलित वोटरों के बीच खोया हुआ विश्वास वापस पाना कठिन हो सकता है।
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