सुरेंद्र किशोर जी, वरिष्ठ पत्रकार के लेख

इतिहासकार राम चंद्रं गुहा कहते हैं कि ‘‘वंशवाद के लिए नेहरू कतई दोषी नहीं ।’’ पहले मोतीलाल नेहरू के बारे में कुछ बातें बता दूं। परिवारवाद के आदिपुरूष मोतीलाल नेहरू ने अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनवाने के लिए महात्मा गांधी को लगातार तीन पत्र लिखे थे।(मोतीलाल पेपर्स–नेहरू म्युजियम)
तीसरे पत्र पर अंततः गांधी दबाव में आ ही गए।

उससे पहले 19 जून, 1927 को महात्मा गांधी ने मोतीलाल नेहरू को लिखा था कि ‘‘कांग्रेस का जो रंग-ढंग है,उससे यह राय और भी दृढ होती है कि जवाहर लाल द्वारा उस भार को उठाने का अभी समय नहीं आया है।’’ पर, मोतीलाल नेहरू के दबाव पर सन 1929 में जवाहर लाल कांग्रेस अध्यक्ष बना दिए गए। मोतीलाल नेहरू 1928 में उस पद पर थे।

अब जवाहरलाल नेहरू के बारे में

1959 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के संबंध में स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी और जवाहर लाल नेहरू के बीच का पत्र -व्यवहार आंखें खोलने वाला है। राम चंद्र गुहा कहते हैं कि ‘‘नेहरू ने इंदिरा गांधी को प्रधान मंत्री बनाना नहीं चाहा था।’’ गुहा जी, अपने जीवनकाल में नेहरू जी अपना पद खाली करके अपनी बिटिया को प्रधान मंत्री तो नहीं बना देते! हां,उसके बाद के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद पर जरूर उन्होंने अपनी बिटिया को बैठा ही दिया।

ताकि, उनके न रहने के बाद उनके अनुयायी आसानी से इन्दु बिटिया को प्रधान मंत्री बनवा दें। याद रहे कि 31 जनवरी, 1959 को महावीर त्यागी ने नेहरू को लिखा कि वह इंदिरा को कांग्रेस अध्यक्ष न बनवाएं। उसके जवाब में एक फरवरी, 1959 को जवाहरलाल नेहरू ने महावीर त्यागी को अन्य बातों के साथ -साथ यह भी लिखा कि
‘‘मेरा यह भी ख्याल है कि बहुत तरह से उसका(यानी इंदिरा का) इस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष बनना मुफीद भी हो सकता है। खतरे भी जाहिर हैं। ’’ केंद्रीय मंत्री रहे महावीर त्यागी लिखित पुस्तक ‘‘आजादी का आंदोलन हंसते हुए आंसू’’ में यह पत्र प्रकाशित है।

समय बीतने के साथ कांग्रेस को परिवारवाद की ऐसी आदत लग़ गयी कि कांग्रेस दिनानुदिन दुबली होती जा रही है फिर भी उसकी चिंता नहीं। देखना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गांधी की कसरत पार्टी को कितना मजबूत कर पाती है! गोदी मीडिया और गोदी इतिहासकारों को छोड़कर, आम धारणा यह है कि कुशलता व कल्पनाशीलता से वंंिचत परिवारवादी नेतृत्व के कारण पार्टी का यह हश्र हो रहा है।

दुहराने की जरूरत नहीं कि परिवारवाद-वंशवाद की शुरूआत मोतीलाल-जवाहरलाल ने ही तो की थी। गोदी इतिहासकारों की जमात के एक कम्युनिस्ट सदस्य ने तो नेहरू को आरोप से बचाने के लिए अपनी किताब में लिखा है कि इस देश की राजनीति में परिवारवाद की शुरूआत ग्वालियर के राज घराने ने की। रामचंद्र गुहा यह भी कहते हैं कि ‘‘इंदिरा गांधी को जवाहरलाल नेहरू के परिवार से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।’’ यह भी एक अजीब तर्क है। याद रहे कि फिरोज गांधी के जीवनकाल में ही इंदिरा गांधी अपने पिता के आवास में रहने लगी थीं। नेहरू ने फिरोज गांधी को संविधान सभा का सदस्य,प्रोविजनल संसद का सदस्य और बाद में आजीवन रायबरेली से लोक सभा का सदस्य बनवाया।

1.-अत्यंत आराम की जिन्दगी को त्याग कर जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। इसके लिए इस देश की बड़ी आबादी उनकी प्रशंसक रही थी।
इसका मतलब यह नहीं था कि पूरी कांग्रेस पार्टी को एक परिवार के हवाले कर देने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जाए।भले कांग्रेस इसी कारण एक दिन बर्बाद क्यों न हो जाए।
2.-आज कांगे्रस एक कारगर व जिम्मेदार प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है तो उसके लिए परिवारवादी-वंशवादी नेतृत्व ही जिम्मेदार है ।क्योंकि यह नेतृत्व योग्य व कल्पनाशील नहीं है।देश की ंिचता और कांग्रेस की चिंता में कोई आपसी तालमेल नहीं है।

किसी सफल लोकतंत्र में मुख्य प्रतिपक्षी दल को हमेशा इस स्थिति मंें होना चाहिए कि वह कभी भी सत्ता संभालने की स्थिति में आ सके । आज तो कांग्रेंस की स्थिति यह है कि वह लोक सभा में मान्यता प्राप्त प्रतिपक्षी दल बनने की स्थिति में भी नहीं। कमजोर विपक्ष सत्ता दल को निरंकुश बनाता है।पर वंशवाद-परिवारवाद से निकले बिना कांग्रेस मजबूत हो ही नहीं सकती।

By Aware News 24

Aware News 24 भारत का राष्ट्रीय हिंदी न्यूज़ पोर्टल , यहाँ पर सभी प्रकार (अपराध, राजनीति, फिल्म , मनोरंजन, सरकारी योजनाये आदि) के सामाचार उपलब्ध है 24/7. उन्माद की पत्रकारिता के बिच समाधान ढूंढता Aware News 24 यहाँ पर है झमाझम ख़बरें सभी हिंदी भाषी प्रदेश (बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई,) तथा देश और दुनिया की तमाम छोटी बड़ी खबरों के लिए आज ही हमारे वेबसाइट का notification on कर लें। 100 खबरे भले ही छुट जाए , एक भी फेक न्यूज़ नही प्रसारित होना चाहिए. Aware News 24 जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब मे काम नही करते यह कलम और माइक का कोई मालिक नही हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है । आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे। आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं , वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलता तो जो दान दाता है, उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की, मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो, जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता. इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए, सभी गुरुकुल मे पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे. अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ! इसलिए हमने भी किसी के प्रभुत्व मे आने के बजाय जनता के प्रभुत्व मे आना उचित समझा । आप हमें भीख दे सकते हैं 9308563506@paytm . हमारा ध्यान उन खबरों और सवालों पर ज्यादा रहता है, जो की जनता से जुडी हो मसलन बिजली, पानी, स्वास्थ्य और सिक्षा, अन्य खबर भी चलाई जाती है क्योंकि हर खबर का असर आप पर पड़ता ही है चाहे वो राजनीति से जुडी हो या फिल्मो से इसलिए हर खबर को दिखाने को भी हम प्रतिबद्ध है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed