आर डी बर्मन की जयंती पर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस की संगीतमय प्रस्तुति
पटना. ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से महान संगीतकार-पार्श्वगायक आर.डी.बर्मन की जयंती 27 जून के अवसर पर वर्चुअल संगीमय कार्यक्रम ‘एक शाम पंचम के नाम’ का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के कलाकारों ने पंचम दा को अपनी ओर से स्वर सुमन अर्पित किए और श्रोंताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्टीय प्रभारी दीपक वर्मा ने बताया कि राहुल देव वर्मन (आर:डी: बर्मन) की जयंती 27 जून के अवसर पर वर्चुअल संगीमय कार्यक्रम एक शाम पंचम के नाम का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्रीमती श्वेता सुमन ने शानदार संचालन कर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। उन्होंने बताया कि संगीतमय कार्यक्रम में देश भर के कई राज्य बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, सिक्किम, कर्नाटक, नयी दिल्ली के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा के क्रांतिकारी संगीतकारों में से एक आर डी बर्मन ने अपने संगीत और कला से सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में भारतीय फिल्म संगीत को एक अलग पहचान दिलाई।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि राहुल देव बर्मन त्रिपुरा के राजसी खानदान से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता सचिन देव बर्मन हिंदी सिनेमा के अग्रणी संगीतकारों में से एक थे। राहुल देव वर्मन ने अपने काम के बदौलत अपनी खुद की पहचान बनायी। राहुल देव बर्मन को प्यार से पंचम दा कहकर बुलाते थे। पंचम दा ने लगातार तीन दशकों तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने अपने संगीत और कला से सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में भारतीय फिल्म संगीत को एक विशिष्ठ पहचान दिलाई।आरडी बर्मन का नाम भारतीय फिल्म जगत में हमेशा याद किया जाएगा।
जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने बताया कि आर डी वर्मन अपने गानों में हिन्दुस्तानी के साथ पाश्चात्य संगीत का भी मिश्रण करते थे,जिससे भारतीय संगीत को एक अलग पहचान मिलती थी। उनकी शैली का आज भी कई संगीतकार अनुकरण करते हैं।आर.डी.बर्मन आज हमारे बीच नहीं है लेकिन फिजां के कण..कण में उनकी आवाज गूंजती हुयी महसूस होती है।आरडी बर्मन ने भारतीय संगीत को नया आयाम दिया। श्रीमती श्वेता सुमन ने महान विभूति पंचम दा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पंचम को महान संगीतकार एस.डी बर्मन का पिता के रूप में सानिध्य ,और अच्छे गुणी गुरुओं की संगत मिली।फ़िजां के कण कण में हैं आज पंचम,चलो छेड़ दें उनकी श्रद्धा में सरगम ,दिया है जो अनमोल तोहफा उन्होंने चलो आज कर दें सुरों का समागम! आज कला संस्कृति ने अपने दायित्वों का निवाहन करते हुए इस सुरमई संध्या का आयोजन किया। हमारे अग्रज जिन महान कार्यों को कर गए हैं उन्हें याद करना और आज की पीढ़ी को प्रेरित करना आवश्यक है।इसी उद्देश्य से इस शाम का आयोजन किया गया।उन्होंने बताया कि संगीतमय कार्यक्रम में दीपक वर्मा, रूचिता सिन्हा, हैप्पी श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, निष्का रंजन, आनंद सिन्हा, सुष्मिता सिन्हा, मुकेश सिन्हा, शालिनी श्रीवास्तव, शिल्पी बहादुर,विजेता सिन्हा, प्रेम कुमार, सुबोध नंदन सिन्हा, रितेश सिन्हा, सौरभ श्रीवास्तव,शिखा श्रीवास्तव, प्रवीण बादल, सर्नाभो प्रीतीश ने शानदार प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
पवन सक्सेना ने बताया कि पंचम दा को भारतीय सिनेमा जगत में सबसे प्रमुख संगीत शक्तियों में से एक माना जाता है। आर डी बर्मन ने जिस तरह का संगीत दिया उसे लेकर कहा जाता है कि वो उस दौर से कही आगे का संगीत था। शायद यही कारण है कि उनके गाने आज भी फिल्मों में रीमिक्स किए जाते हैं। ये उनकी धुनों का ही करिश्मा है कि उनके गाने तब भी सदाबहार थे और आज की पीढ़ी की ताल से ताल भी मिला लेते हैं। कार्यक्रम के अंत में जीकेसी के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने आर.डी.बर्मन को समर्पित इस कार्यक्रम की सराहना की एवं धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस एक दिन अपना परचम विश्व मे लहराएगा।