मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो,
मेरे कोमल हृदय को तुम यूं न टटोलो,

वहां भी तुम्हें एक इंसान नज़र आएगा,
जो इसांनियत के ही गीत गुनगुनाएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।

मत बांधो मुझे इस धर्म के जंजाल में,
मेरे अंदर तुम्हें एक धर्म नज़र आएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोल।

 

बुद्धा कृष्णा कबीर भी मैं हूं ,
राम रहीम और फ़क़ीर भी मैं हूं ,
बनजाओ फ़कीर उसमें भी मजा आ जायेगा ,
लुटा दो मोहब्बत की दौलत, इंसान अमीर बन जायेगा।

मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
मेरे अल्ला, मेरे मौला, मेरे राम, मेरे घनश्याम,
मेरे इशू, मेरे नानक, कर मोहब्बतों के इबादत,
मिला दे इंसान को इंसान से इंसान इंसान तो बनजायेगा
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।

 

 

By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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