parshant kishore aur karamyogi कर्मयोगी और प्रशांत किशोर

अगर आज के युग में या यू कहें इस कलयुग में अगर कर्मयोगी की खोज करता हु तो, अभी के समय मे मेरी नजर एक ही व्यक्ति पर ठहरती है,

पहले UNITED NATION में नौकरी की 8 साल बाद लौट आये, फिर देश के सबसे बड़े चुनावी रणनीतिकार भी बने, चुनावी रन का सबसे बड़ा रणनीतिकार या फिर UN की जॉब को ही आप देख लीजिये कोई भी पद को एक झटके में अलविदा कह कर फिर से जीरो से शुरू हुआ इंसान ही किशोर है।

हाँ वो प्रशांत किशोर है। आज अपने संगठन जनसुराज के माध्यम से प्रशांत किशोर क्या बदलना चाहते है ? किसके लिए बदलना है ? या फिर क्यों बदलना है ? बदल कर क्या होगा ? कोई निजी स्वार्थ ? या फिर पैसा ? , सोहरत ?, नाम या फिर पॉवर ?

सब कुछ तो पहले से ही था इसके पास आज सडक पर खड़ा होकर किसके लिए मेहनत कर रहा है ? हर गावँ तक पहुचकर उनके घर बार में रहकर लोगो की तकलीफ समझना, UN में रहकर अरमानी के सूट को पहनने के बाद, कुर्ता पाजामा धारण करके धुल भड़ी सडको से गुजरना पैदल चलना, साथ में कोई ना बंकर है , ना ही कोई काराबाइन, बस पथिक की तरह वो चलता ही जा रहा है।
हालांकि मेरी निजी राय मेरे इस लेख से ठीक उल्ट है,
                                                                         बहराल मेरी निजी राय पर मै फिर कभी आऊंगा आज जो माहौल बन रहा है और जब दूर तक देखता हु तो उस व्यक्तित्व के आस पास भी फटकता हुआ मुझे कोई दूसरा व्यक्ति नही मिलता।
कुछ लोग मिले, मगर जब उनपर रिसर्च की तब पता चला अरे ये तो भगौरे हैं, कभी टेम्पू में सपथ लेने जाते लोग आज गाडियों के काफिले से निकलते हैं ! और भी रिसर्च किया तब कुछ और बाते भी सामने आई बहरहाल मै लौटता हु आज के कर्मयोगी पर यानी की प्रशांत किशोर पर तो प्रशांत आजकल टेंट में सोते हैं या यु कहे रात गुजारते हैं , हर गाव गाव में वो घूम रहें हैं और अपने अभियान जन सुराज के माध्यम से लोगो को जगाने का काम कर रहें हैं ऐसा वो कहते है।
कर्मयोग की छवि तो दिखती है उनमे मगर कुछ चीजे मुझे खटकती भी है जो की फिर कभी आज के लिए आज के युग का कर्मयोगी प्रशांत किशोर।
अगर आपकी नजर में भी कोई ऐसा व्यक्ति है जो ऐसा कुछ कर रहा है तो मुझे अपडेट कीजियेगा तब तक आप रिसर्च कीजिये हम आते हैं पान खाकर

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