जीवन में लॉस और प्रॉफिट मतलब किसी भी आपके एक्ट से आप जब उसके लाभ और हानि के विषय में सोचते हैं तब आपको सुख और दुख का एहसास होता है।

मतलब फल के बारे में जैसे ही आप सोचते हैं आपको दुःख होता है , जैसे किसी ने कह दिया मैं आपको छोड़ रहा/रही हु , मैं आपसे कभी बात नही करूंगा/करूंगी अब डर आपको कब लगता है जब आप सामनेवाले से कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। आने जाने के भय से मुक्ति का मार्ग । किसी भी चीज की इच्छा/कामना और वासना का त्याग करना । मतलब विश्वास सिर्फ कर्म में होना कोई भी व्यक्ति कोई भी वस्तु के आने जाने से आपके कर्म पर कोई प्रभाव ही न पड़े ।

कर्म का निरंतर समय के साथ कदम ताल आप अपने कर्म में इतने अत्यधिक लीन है की अब बाहरी लोग आपके तरक्की का मूल्यांकन में लग जाएं , आपने जो किया उसका मूल्यांकन के लिए आपके पास समय का न होना , कर्म में आनंद की खोज मतलब एक नया शब्द दे रहा हु हिंदी डिक्शनरी को या पहले से मौजूद हो शब्द है कर्मानन्द अब परमानंद मतलब कर्मानंद है , आपके कर्म से आपकी आवस्था तो बदल रही है मगर उसका मूल्यांकन समाज और परिवार कर रहा हो आप नही, आप जिस अवस्था में है और कर्म से जिस अवस्था को प्राप्त कर रहे हैं हर अवस्था में क्या आप सहज है ? आपकी सहजता ही आपका संतोष है ।

संतोषम पर्मसुखम का मतलब है हर अवस्था में सहज रहना । आप असहज है मतलब आप में कामना है इच्छा है और वासना भी है ।

धन नही है तो धन को पाने की अभिलाषा है , किसी सुंदर स्त्री को देखकर उसको पाने की अभिलाषा । अभिलाषा इच्छा कमाना और वासना का न होना और सिर्फ कर्म का करते जाना । एक कर्म और कार्यक्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होने के बाद उसका त्याग कर कोई नया कर्म करना , सफलता मतलब सर्वश्रेष्ठ होना सफल व्यक्ति जीवन में एक बार नही बार बार सफल होता है । साधु मतलब कर्म से मुक्ति संसार से मुक्ति जैसे बुध , साधु थे निकल लिए , बुध का मार्ग आसान है आप कहेंगे कैसा मूर्ख आदमी है बुध के मार्ग को आसान कह रहा है तो संसार का त्याग करके मोक्ष को प्राप्त करना सबसे आसान है क्योंकि वहां पर कर्म की दौर खत्म हो जाती है कर्म हो तो वहां भी रहा है मगर कोई रेस नही है कही पहुंचना नही है सन्यास मतलब सांसारिक जीवन का त्याग अब इससे बड़ा क्या त्याग हो सकता है ! मान लो आपके पास पैसे नहीं है घर गाड़ी कोई संसार में अपना कहने के लिए है ही नही आप जीवन यापन लिए भिक्षा और प्रकृति पर निर्भर कर रहे हो धीरे धीरे आपके ज्ञान की ज्योति आस पास फैलने लगे लोगो के कष्ट आपकी बात सुनकर होने लगे फिर क्या होता है भिक्षाटन के जीवन का भी खत्म हो जाना अब भिक्षा खुद ही चलकर आती है । सन्यास मतलब एक जीवन के समाप्ति और दूसरे जीवन की शुरुआत ।

अब आप आज खोजिए की कौन सा वो व्यक्ति है जिसने भिक्षाटन करके अपना नया समाज गढ़ा हो ! ढूंढिए अगर ढूंढ लिया तो वही है दूसरा बुध । बाद बांकी लोग दुकान लिए बैठे हैं । संन्यासी होना और सन्यास का ढोंग करना । सहज होना और सहजता का ढोंग करना ।

अब ढोंगी कौन है खोजिए तो बुध का मार्ग सीधा है मगर संसार में रहकर भी संसार में न रहना बड़ा ही जटिल है । एक कर्म में सर्वश्रेष्ठ बनकर उसका त्याग करना भी कठिन हैं। यात्रा पैसे और यश के आ जाने से खत्म नही होगी यात्रा का अंत कर्मयोग है कर्मानंद बनना है । घमंड इच्छा और कामना या फिर फल की चिंता का होना लगभग एक ही बात है । इच्छा कामना और फल की चिंता में मोह है और मोह से घमंड का जन्म होता है । कुल मिलाकर किसी भी वस्तु व्यक्ति या फिर धन की कामना करना और उसे पाकर आनंद लेना मतलब आप घमंडी है । मै आइएएस की तयारी कर रहा हु ऐसा कह कर आप दरोगा जो बन्ना चाहता है उसको नीचा दिखा रहे होते हैं और यही स्वभाव आपके बनने के बाद भी प्रदर्शित होता है । मोक्ष के लिए इच्छा का त्याग और हम सभी मनुष्य पृथ्वी पर आए ही क्यों है तो सिर्फ मोक्ष के लिए । लक्ष्य सबका वही है मगर इसका बोध आपको कब होगा और आप मार्ग कौन सा चुनेंगे ये निर्भर आप पर करता है उम्मीद है आप लोग कर्मानंद बनने की कोशिश करेगे और परमानंद को प्राप्त करेंगे हरे कृष्णा राधे राधे ।।

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