पूर्वोत्तर में प्रस्तावित गौरक्षा रैली पर आपत्ति

घटना का अवलोकन:

  • समय: 2 अक्टूबर 2024
  • आयोजक: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के प्रतिनिधि
  • उद्देश्य: गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करना और गौ हत्या मुक्त भारत की मांग

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ:

  1. मेघालय में विवाद:
    • शिक्षा मंत्री रक्कम ए. संगमा: उन्होंने रैली की आलोचना की और आयोजकों से अपील की कि वे इस तरह की रैली न करें। उन्होंने गोमांस को अपने पसंदीदा भोजन के रूप में प्रस्तुत किया और इसे किसी धार्मिक मुद्दे से न जोड़ने की बात की।
    • क्षेत्रीय दल और सामाजिक संगठन: कुछ राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि वे मेघालय में इस रैली की अनुमति न दें। क्षेत्रीय वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी (वीपीपी) ने कहा कि रैली राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकती है।
  2. नागालैंड में प्रतिक्रिया:
    • भाजपा अध्यक्ष बेंजामिन येप्थोमी: उन्होंने रैली के खिलाफ विरोध व्यक्त किया, यह बताते हुए कि यह नागाओं की संस्कृति और आहार विकल्पों में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने इसे नागा रीति-रिवाजों का अपमान बताया।
    • फेक जिला इकाई: पार्टी की स्थानीय इकाई ने कहा कि नागा रीति-रिवाजों पर जबरदस्ती थोपना शांति और सद्भाव के लिए खतरा है।
  3. अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की प्रतिक्रिया:
    • अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ: उन्होंने यात्रा को लोगों के खाने-पीने के अधिकार पर अतिक्रमण बताया।
    • मिजो जिरलाई पावल: मिजोरम में मवेशियों के वध के खिलाफ वकालत करने के लिए यात्रा की आलोचना की।

राजनीतिक निर्णय:

  • नागालैंड सरकार: राज्य में गोमांस विरोधी रैली की अनुमति न देने का निर्णय लिया, जिसमें भाजपा भी एक घटक है।

सामाजिक-सांस्कृतिक चिंताएँ:

  • धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता: विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों में गोमांस का सेवन सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यता का हिस्सा है। रैली का आयोजन इस पर प्रभाव डालने की संभावना को लेकर चिंताएँ व्यक्त की जा रही हैं।

समापन टिप्पणी:

  • पूर्वोत्तर राज्यों में गाय और गोमांस के मुद्दे पर सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के प्रति संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है। इस रैली की वजह से इन राज्यों में सामाजिक तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जो पहले से ही बहुलवादी और विविध सांस्कृतिक परिदृश्य वाले हैं।

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