🏛 सुप्रीम कोर्ट के मुख्य निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को निर्देश देने के लिए कहा, ताकि वे मतदाताओं को दावे और आपत्तियाँ दाख़िल करने तथा नामांकन के आवेदन में सहायता करें।
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मतदाता अपने दावे, आपत्तियाँ और नामांकन के आवेदन 11 मान्य दस्तावेज़ों में से किसी भी एक या आधार कार्ड के साथ कर सकते हैं।
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बाहर हुए मतदाता ऑनलाइन फॉर्म भी जमा कर सकेंगे।
📌 सुनवाई के दौरान मुख्य बहस
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ECI का पक्ष: चुनाव आयोग ने कहा कि उसने 14 अगस्त के आदेश का “लेटर और स्पिरिट” में पालन किया है। 65 लाख बाहर हुए मतदाताओं की सूची मतदान केंद्रों, पंचायत और BDO कार्यालयों में चिपकाई गई है और ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
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राजनीतिक दलों का तर्क: कांग्रेस, RJD और अन्य दलों ने कहा कि बड़ी संख्या में नाम कटने से मताधिकार प्रभावित हो रहा है और प्रक्रिया भरोसेमंद नहीं लगती।
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याचिकाकर्ताओं का पक्ष: ADR व अन्य याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं की असमान रूप से अधिक संख्या हटाई गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं।
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न्यायालय की टिप्पणी:
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जस्टिस कांत ने कहा कि मतदाताओं को दलों और चुनाव आयोग के बीच की खींचतान में नहीं फँसना चाहिए।
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अगर बाहर हुए मतदाता बड़ी संख्या में दावे व आपत्तियाँ दाख़िल करते हैं तो चुनाव आयोग अंतिम तिथि (1 सितंबर) बढ़ाने पर विचार कर सकता है।
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📊 प्रमुख तथ्य
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ECI के अनुसार 65 लाख हटाए गए नामों में से
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22 लाख मृतक
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36 लाख स्थायी रूप से बाहर चले गए
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8 लाख डुप्लीकेट एंट्री
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अब तक 84,000 दावे दाख़िल हुए और 2.53 लाख नए मतदाता (18 वर्ष आयु पूरी करने वाले) नामांकन हेतु आगे आए।
📅 अगली तारीख
मामले की अगली सुनवाई अब 8 सितंबर 2025 को होगी।
👉 कुल मिलाकर, आज की सुनवाई में SC ने ECI को समय और भरोसा दिया, लेकिन साथ ही राजनीतिक दलों को ज़िम्मेदारी सौंपी कि वे अपने BLAs के ज़रिए सीधे मतदाताओं की मदद करें।
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22 अगस्त 2025, 12:33 बजे
याचिकाकर्ता ने द हिंदू की रिपोर्ट का हवाला दिया
याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपने लिखित हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मताधिकार से वंचित होने वाले सबसे संवेदनशील वर्गों में विवाहित महिलाएँ, अस्थायी प्रवासी, वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांगजन शामिल हैं।
उन्होंने द हिंदू की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चुनावी सूची से महिलाओं को अनुपातहीन रूप से अधिक हटाया गया है, जिससे पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
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द हिंदू के विश्लेषण (9 विधानसभा क्षेत्रों) के अनुसार, 18-39 आयु वर्ग में “स्थायी रूप से प्रवास” के आधार पर पुरुषों की तुलना में दोगुनी संख्या में महिलाओं को हटाया गया।
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कुल मिलाकर हर 3 पुरुषों के हटाए जाने पर 5 महिलाओं को हटाया गया।
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यह आँकड़ा किसी भी तार्किक व्याख्या से परे है।
जनगणना 2011 के अनुसार, बिहार से स्थायी रूप से बाहर जाने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। वहीं विवाह आधारित प्रवास में 95% मामले राज्य के भीतर ही होते हैं।
इस असमान और अन्यायपूर्ण विलोपन से पूरे मसौदा मतदाता सूची (Draft Roll) की प्रक्रिया संदिग्ध हो जाती है।
22 अगस्त 2025, 12:46 बजे
ECI ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का “लेटर और स्पिरिट” में पालन किया
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 14 अगस्त के आदेश का पूर्ण पालन किया है, जिसके तहत बिहार की मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए लगभग 65 लाख नाम प्रकाशित करने थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी, चुनाव आयोग की ओर से पेश होते हुए बोले कि—
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सूची न केवल ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई है बल्कि मतदान केंद्रों, पंचायत और बीडीओ कार्यालयों में भी प्रदर्शित की गई है।
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इसमें गैर-शामिल किए गए नामों के कारण भी स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।
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अब यह मतदाताओं पर निर्भर है कि वे दावे और आपत्तियाँ दर्ज करें।
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यहाँ तक कि राजनीतिक दल भी दावे और आपत्तियाँ दाखिल कर सकते हैं।
22 अगस्त 2025, 12:50 बजे
“कोई राजनीतिक दल SC नहीं आया” – ECI का दावा, याचिकाकर्ताओं ने किया विरोध
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी (चुनाव आयोग की ओर से) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि—
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बिहार में 90,000 मतदान केंद्रों पर 1.6 लाख बूथ-लेवल एजेंट (BLA) राजनीतिक दलों (राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दोनों) की ओर से मान्यता प्राप्त और नियुक्त किए गए हैं।
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लेकिन, अब तक कोई राजनीतिक दल सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट नहीं आया है।
इस दावे पर याचिकाकर्ताओं ने तुरंत आपत्ति जताई।
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कपिल सिब्बल ने कहा कि वे राजद (RJD), जो मुख्य विपक्षी दल है, की ओर से पेश हो रहे हैं।
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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे सात दलों (राष्ट्रीय और क्षेत्रीय) की ओर से उपस्थित हैं।
इस पर द्विवेदी ने जवाब दिया कि ये वकील सांसदों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, न कि राजनीतिक दलों का।
जस्टिस जॉयमल्या बागची ने स्पष्ट किया कि—
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श्री सिंघवी के मामले में संगठन सचिवों ने अधिकृत होकर याचिका दायर की है।
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श्री सिब्बल के मामले में राजद के एक सांसद ने याचिका दायर की है।
22 अगस्त 2025, 12:51 बजे
SC अब दलों की ओर से आई प्रस्तुतियों पर भी करेगा विचार
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे मुख्य रूप से बिहार के मतदाताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिनके अधिकार सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना (कांत) ने कहा कि—
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सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को हस्तक्षेप इसलिए किया था ताकि मतदाताओं के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
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अब अदालत राजनीतिक दलों की ओर से आई प्रस्तुतियों/प्रतिनिधित्व पर भी विचार कर रही है।
22 अगस्त 2025, 1:01 बजे
दिनभर में 16 लाख नामों की जाँच संभव: चुनाव आयोग
सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी, चुनाव आयोग की ओर से, ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि —
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7 अगस्त को बिहार के 12 मान्यता प्राप्त दलों के ब्लॉक लेवल एजेंट्स (BLAs) के साथ बैठक हुई थी और उन्हें ग़ैर-शामिल मतदाताओं की सूची सौंप दी गई थी।
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बिहार में कुल 1.6 लाख BLAs हैं। प्रत्येक BLA रोज़ाना 10 नामों की जाँच कर सकता है।
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इस हिसाब से 16 लाख नाम प्रतिदिन जाँचे जा सकते हैं और पूरी प्रक्रिया 4–5 दिन में पूरी हो जाएगी।
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अब तक 84,000 दावे दायर किए जा चुके हैं।
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साथ ही, 2.53 लाख नए मतदाता (18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले) आगे आए हैं।
द्विवेदी ने कहा कि यह दिखाता है कि लोग चुनाव प्रक्रिया से जुड़ने के लिए उत्साहित हैं, जबकि राजनीतिक दल केवल राजनीतिक लाभ के लिए शोर मचा रहे हैं।
22 अगस्त 2025, 1:07 बजे
‘राजनीतिक दल मदद कर सकते हैं मतदाता सूची को दुरुस्त करने में’
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि —
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1 सितंबर के बाद दावे और आपत्तियों की सुनवाई Electoral Revision Officers (EROs) करेंगे और उस पर स्पीकिंग ऑर्डर पास करेंगे।
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आयोग के अनुसार, 65 लाख गैर-शामिल मतदाताओं में से:
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22 लाख मृत पाए गए,
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36 लाख बिहार से बाहर स्थानांतरित,
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और 8 लाख डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ हैं।
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जस्टिस सूर्या कांत ने कहा कि जिन 36 लाख प्रवासित मतदाताओं को हटाया गया है, उन्हें आगे आकर दावा करना होगा।
राकेश द्विवेदी (ECI की ओर से) ने कहा कि राजनीतिक दल इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
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वे नामों की जाँच कर मदद कर सकते हैं।
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राजनीतिक दलों और जन संगठनों को इस प्रक्रिया में भाग लेने का निमंत्रण भी दिया था।
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वे Booth Level Agents (BLAs) नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन वे नहीं करते, उन्होंने दावा किया।
22 अगस्त 2025, 1:08 बजे
‘प्रवासी मतदाता अन्य जगहों पर भी दर्ज हो सकते हैं’ — चुनाव आयोग
राकेश द्विवेदी (ECI की ओर से) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन मतदाताओं को प्रवासी (Migrated) श्रेणी में हटाया गया है, उनकी प्रविष्टियाँ संभव है कि अन्य शहरों या राज्यों की मतदाता सूची में पहले से दर्ज हों।
👉 ऐसे मतदाताओं को चुनाव आयोग के समक्ष आवेदन करना होगा,
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यह पुष्टि करने के लिए कि वे बिहार में ही पंजीकृत रहना चाहते हैं,
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और साथ ही अन्य स्थानों से अपने नाम हटवाने होंगे।
22 अगस्त 2025, 1:29 बजे
‘मतदाता को पार्टियों और ECI के बीच की खींचतान से नहीं जोड़ना चाहिए’
👉 जस्टिस कांत ने कहा कि अगर राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारी समझते तो यह स्थिति ही नहीं आती।
👉 अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि मतदाता को किसी भी राजनीतिक दल और चुनाव आयोग (ECI) के बीच की खींचतान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि SIR (Special Intensive Revision) की प्रक्रिया इतनी खराब तरीके से बनाई गई है कि इसमें बहुत से लोग छूट सकते हैं।
👉 इस पर राकेश द्विवेदी (ECI की ओर से) ने जोर देकर कहा कि आयोग को अपना काम करने दिया जाए। “याचिकाकर्ताओं का मामला पूरी प्रक्रिया को विफल करने वाला है। यही इनका गेमप्लान है,” उन्होंने कहा।
22 अगस्त 2025, 1:30 बजे
‘ECI बताए कि मतदाताओं ने कौन से दस्तावेज़ जमा किए’
👉 AIMIM की ओर से अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि चुनाव आयोग (ECI) को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि मतदाताओं ने कौन से दस्तावेज़ जमा किए थे, जिनके आधार पर या जिनकी कमी की वजह से उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए।
22 अगस्त 2025, 1:50 बजे
SC का निर्देश: राजनीतिक दल अपने बीएलए को मतदाताओं की मदद करने को कहें
👉 सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बिहार के राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहें कि वे मतदाताओं की दावे-आपत्तियों तथा मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आवेदन दाखिल करने में मदद करें।
👉 पीठ ने कहा कि मतदाता किसी भी 11 दस्तावेज़ों में से एक या आधार कार्ड के साथ अपने दावे, आपत्तियाँ या आवेदन दाखिल कर सकते हैं।
👉 ऑनलाइन माध्यम से भी बाहर किए गए मतदाता अपने फ़ॉर्म जमा कर सकते हैं।
22 अगस्त 2025, 1:50 बजे
बिहार के राजनीतिक दलों को बनाया गया पक्षकार
👉 सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की राजनीतिक पार्टियों को प्रतिवादी (respondents) के रूप में शामिल कर लिया है।
22 अगस्त 2025, 1:52 बजे
अंतिम तिथि बढ़ाने पर विचार करें: जस्टिस कांत का ईसीआई से सवाल
👉 जस्टिस कांत ने मौखिक रूप से चुनाव आयोग से कहा कि यदि बाहर किए गए मतदाताओं की ओर से दावे और आपत्तियां दाखिल करने में “भारी संख्या” में प्रतिक्रिया आती है, तो आयोग अंतिम तिथि बढ़ाने पर विचार कर सकता है।
👉 फिलहाल अंतिम तिथि 1 सितम्बर 2025 तय है।
22 अगस्त 2025, 1:53 बजे
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 8 सितम्बर तय की
👉 अगली सुनवाई की तारीख 8 सितम्बर 2025 निर्धारित की गई।
👉 जस्टिस बागची ने चुनाव आयोग से कहा कि यदि ‘दावे और आपत्तियां’ चरण में आधार को प्रासंगिक दस्तावेज के रूप में शामिल किया जाता है, तो इसका मतलब है कि सत्यापन के लिए और अधिक समय लगेगा।
👉 सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस पहलू पर विचार करने को कहा।
👉 पीठ उठ गई।
