“बैरगिया नाला जुलुम जोर” एक पुरानी कविता है जो भारत के दूसरे कवर के नागरिकों के तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल पर बनाए जाने के दौर में फिर से प्रासंगिक हो जाती है! छोटी सी बात में एक चर्चा इस बात पर कि आखिर क्यों धार्मिक स्थलों को नहीं बनना चाहिए पर्यटन स्थल https://www.minimetrolive.com/opinion/bairgiya-nala-julum-jor/ बैरगिया नाला जुलुम जोर। तहं साधु भेष में रहत चोर। बैरगिया से कछु दूर जाय। एक घिसा-पिटा बैठा धुनी रुमाय। कछु रहत दुष्ट नाले के पास। कछुड़े रहत नाले में वास। सो साधु रूप हरिनाम लेत। निज साथ में संकेत देता है। जब जानत अहिके पास दम। तब दामोदर को लेत नाम। जब बोला एक ठग वासुदेव। तेहिं बांस मार सब कंधा लेव। लगि जात पथिक नाले की राह। पहले ठग बैठेहिं डगर माह। सबु देहु बटोरी धन थमाय। नहीं तो होइ जाई बुरा हाल। हम आशिक कहते हैं। काम हमारो गान नृत्य है। नाचै गावै का कार बार। तबला धन हमार। बोले नाचो गावो गान। हम खुश होवै तब देहि जान। चट नाच गान तयां होन लाग। तृग भाए मस्त सुन मधुर राग। एक चतुर पथिक मन भाए सोच। हम नवजन हैं ये तीन चोर। बैरगिया नाला जुलुम जार। नव पथिक नचावत तीन चोर। अस सोचत मन उपजी गलानि। तब लागे गावै टाइम जानि। जब तबला बाजे धीन-धीन। तब एक-एक पर तीन-तीन। दानी सबकी ठगी दिखाते हैं। सुख सोवै अपने गांव जाय। आज जार्ज पंचम सुराज। नहिं ठग चोरन को रह्यो राज छंटी गए दुष्ट हूति गए चोर। पटगा बैरगिया अजब शोर।।

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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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