shubhendu ke comments krishna से संवादshubhendu ke comments krishna से संवाद

आज भगवान् कृष्ण मुझसे ठिठोली के मुड में थे सखा के भेष में पूछ लिया, की “बतायो मित्र कृष्ण से पहले राधा का नाम क्यों आता है ? तुम भी हर वक्त राधे राधे क्यों करते हो ? कभी कभी ही जय श्री कृष्ण कहते हो,” मैंने मुस्कुरा अपनी बात रक्खी (चुकी आज भगवान नही मित्र के भेष में आया था कान्हा)

मैंने तंज करना शुरू किया और अंत में मित्र की आँखे नम हो गई ऐसा क्या कह दिया प्रभु से मैंने ?

पहले झुककर नमन किया फिर बोला “आज भक्त नही मित्र बोलेगा और हे कृष्ण तुम्हे सुन्ना ही पड़ेगा” प्रभु ने पट से पास रक्खी मटकी से माखन निकाला और चट करते हुए बोले आज मित्र बनकर आया हु सारी लाज शर्म तोड़ दो और मित्र बनकर ही बतला दो मैंने कहा “मित्र महंगा परेगा ये तंज. तुम तो कुछ नही कहोगे लेकिन तेरे भक्त मेरी खाल उधेर देंगे” कृष्ण मुस्कुराकर बोले “गीता का इतना ज्ञान लिए और आज भी शरीर का मोह रखते हो !” मैंने बिच में बात काटते हुए कहा “जब हड्डी टूटती है ना मित्र तो आत्मा तक असर करती है” उन्होंने मुस्कुराकर कहा “मित्र ठिठोली बंद करो मै तेरे साथ खड़ा हु फिर डर काहे का ?”
मैंने शुरू किया
वो सारे रशमो रिवाजो सारे बंधन को तोडकर तुमसे मिलती है,
मिलने पर मोहब्बत के सिवा कुछ भी नही मांगती है,
तुम्हारा घर ना टूटे इसलिए वो तुम से दूर चली जाती है,
सिकायतो को उसके तुमने expectation का नाम दे दिया है,
उसको सरे आम बदनाम कर दिया है,
फिर भी वो दिल ही दिल में तुमसे मोहब्बत करती है,
बात बस इसलिए नही करती क्योंकि
तुम्हारी कामना फिर से ना जग जाए
और फिर तुम्हारे घर में कोई विवाद ना हो जाए,
इजहारे इश्क का तुमने पहले किया था,
मगर सच्ची मोहब्बत तो उसने निभाई.
आज बड़े लेक्चर देते फिरते हो,
उसको भी लेक्चर देने से बाज नही आते,
और कहते हो तुमने सच्ची मोहब्बत की थी !
हां हां तुमने की थी सच्ची मोहब्बत कान्हा पर
एहसास तुमको बाद में हुआ और उसको पहले
तुम कल भी बुध्धू थे और आज भी बुध्धू
इसलिए आज भी तनहा हो और कल भी थे
ज़रा सोच कर देखो तुमको तो राधा मिली थी
लेकिन गोपियों के चक्कर में राधा को ही भूल गये
अब भी उदास हो ! बड़े पागल हो ,
अरे कम से कम इस बात का जश्न तो मना लो
की तुम्हारे एहसास में तुम्हारे हर ख्याल में राधा तो हर वक्त रहती ही है.
वृदावन जाते नही और दूर से ही चिलाते रहते हो वो मुझसे मिलने नही आती.
पहले कृष्ण तो बनो लेकिन तुम तो दुष्ट हो तुम कहोगे मै कृष्ण बन गया फिर मेरे नाम से पहले उसका नाम आएगा, अपना अहंकार छोड़ते नही और राधा का भी साथ खोजते हो ! थोडा इन्तजार कर पगले राधा तो तुम्हारी है वो कहाँ जायेगी !
किस्सा तुम्हारे इश्क का अधूरा रह कर भी पूरा हो गया, तुम इश्क में हार कर भी जीत गये, बाजीगर तो बन गये , रुको जरा फिर से लगता है गुमान हो रहा है, तुम्हारी इस जीत के लिए भी राधा का प्यार जिम्मेदार है,
समाज के तंज वो झेलती है तुम्हारी घाव वो सहती है,
पूरा विष तो उसने पिया है तुमने बंसी बजाने के अलावा किया ही क्या है ?
तुम्हारे पास तो रुकमनी थी उसकी पास था ही कौन ?
फिर भी वो मोहब्बत करती रही और तुम तो ज्ञान वांच रहें थे,
समाज के उत्थान का बीड़ा उठाया, तुमने भी बहुत बड़े काम किये पर क्या राधा के साथ इंसाफ कर सके !
इसलिए तो युग के खत्म होने के बाद भी कृष्ण से पहले राधा का ही नाम आता है , इश्क के चैप्टर में उसको पुरे 100 number मिले तुम्हे भी मिले,
मगर तुमने उसकी कॉपी से ही तो चीटिंग की, पहले माखन चुराया करते थे और बड़े होकर दिल चुराने लगे, पास हुए या फेल ये तुम ही जानो मगर तुमसे पहले तो मै राधा जी का ही नाम लूँगा तुम जब मेरी बात नही मानोगे तो उससे ही सिकायत लगाऊंगा, तुम्हारे साथ रहकर तुम्हे पिता भाई और सखा बनाकर बड़ा मजा आ रहा है, मनुष्य हु पर तुमको पा लिया है और तुम्हारे साथ रहकर थोडा छल तो मैंने भी सिख लिया है, जब भी रुठोगे मुझसे मै राधे राधे दोहराऊंगा जैसे ही आएँगी कन्हैया राधा माँ से तेरी खूब सिकायत लगाकर तुझे जीत जाऊँगा.
प्रेम से बोलिए राधे राधे.
कृष्ण की आँखे अब नम हो चुकी थी
उन्होंने मुश्कुराकर मुझसे कहा “बस कर पगले अब रुलाएगा क्या !
कृष्ण बोले “इसे छाप भी दे अच्छा बोलता है जरा लिख भी दे.
मैंने कहा “कलयुग में कागज पर आज के हुक्मरानों ने टैक्स लगा दिया है कागज महंगा और कलम मेरी टूटी है।
उन्होंने कहा “फिर से ठिठोली कर रहा है जा आज के Facebook और अपनी website पर छाप कर आ
मैंने मुश्कुरा कर कहा “क्या प्रभु आपको भी हवा लग ही गई डिजिटल इण्डिया की ?
प्रभु मुश्कुराकर बोले “तू हर बात में राजनीति घुसेर ही देता कभी मोदी की महिमा मंडन करता है और कभी तंज भी, बड़ा विचारशील हो गया मेरी भक्ति अलावा तू किसी का नही रे जा जो ठीक लगे कर दे”
मैंने कहा “जो आज्ञा प्रभु”
सिक्षा
हर पुरुष के कामयाबी के पीछे औरत का ही हाँथ होता है,
राम के पीछे सीता माँ का हाँथ, कृष्ण के पीछे राधा माँ का हाँथ,
कोई भी युग उठा लो कोई भी काल उठा लो हर कामयाब पुरुष के पीछे औरत नजर आ ही जायेगी, प्रेम से देखो सब नजर आएगा, अभिमान और अहंकार से देखोगे तो कुछ भी नजर नही आएगा. एक बार फिर से प्रेम से बोलिए राधे राधे

By Shubhendu Prakash

Shubhendu Prakash – Hindi Journalist, Author & Founder of Aware News 24 | Bihar News & Analysis Shubhendu Prakash एक प्रतिष्ठित हिंदी पत्रकार, लेखक और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं, जो Aware News 24 नामक समाधान-मुखी (Solution-Oriented) न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक और संचालक हैं। बिहार क्षेत्र में स्थानीय पत्रकारिता, ग्राउंड रिपोर्टिंग और सामाजिक विश्लेषण के लिए उनका नाम विशेष रूप से जाना जाता है। Who is Shubhendu Prakash? शुभेंदु प्रकाश 2009 से सक्रिय पत्रकार हैं और बिहार के राजनीतिक, सामाजिक और तकनीकी विषयों पर गहन रिपोर्टिंग व विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। वे “Shubhendu ke Comments” नाम से प्रकाशित अपनी विश्लेषणात्मक टिप्पणियों के लिए भी लोकप्रिय हैं। Founder of Aware News 24 उन्होंने Aware News 24 को एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म के रूप में विकसित किया है जो स्थानीय मुद्दों, जनता की समस्याओं और समाधान-आधारित पत्रकारिता को प्राथमिकता देता है। इस पोर्टल के माध्यम से वे बिहार की राजनीति, समाज, प्रशासन, टेक्नोलॉजी और डिजिटल विकास से जुड़े मुद्दों को सरल और तार्किक रूप में प्रस्तुत करते हैं। Editor – Maati Ki Pukar Magazine वे हिंदी मासिक पत्रिका माटी की पुकार के न्यूज़ एडिटर भी हैं, जिसमें ग्रामीण भारत, सामाजिक सरोकारों और जनहित से जुड़े विषयों पर सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण पत्रकारिता की जाती है। Professional Background 2009 से पत्रकारिता में सक्रिय विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों में कार्य 2012 से सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में अनुभव 2020 के बाद पूर्णकालिक डिजिटल पत्रकारिता पर फोकस Key Expertise & Coverage Areas बिहार राजनीति (Bihar Politics) सामाजिक मुद्दे (Social Issues) लोकल जर्नलिज़्म (Local Journalism) टेक्नोलॉजी और डिजिटल मीडिया पब्लिक इंटरेस्ट जर्नलिज़्म Digital Presence शुभेंदु इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रिय हैं, जहाँ वे Aware News 24 की ग्राउंड रिपोर्टिंग, राजनीतिक विश्लेषण और जागरूकता-उन्मुख पत्रकारिता साझा करते हैं।

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