हिजाब/बुर्का विवाद की कहानी आधी-अधूरी कहानी लगती है। आखिर, उडुपी की स्कूल/कॉलेज की लड़कियां कर्नाटक उच्च न्यायालयों में दायर किए जाने वाले मामलों की व्यवस्था कैसे कर सकती हैं? वे देवदत्त कामत, जो सुशांत सिंह राजपूत मामले में थे, और रिपब्लिक टीवी फर्जी टीआरपी मामले में शीर्ष पायदान के वकीलों को कैसे नियुक्त करते हैं? क्या इस बुर्का/हिज़ाब विवाद का कोई हिस्सा है जिसे जानबूझकर छुपाया जा रहा है? आइए इस मुद्दे की समयरेखा पर एक नज़र डालते हैं। यह उन पात्रों पर कुछ प्रकाश डालता है जो पृष्ठभूमि से तार खींच रहे हैं। श्री विजय पटेल को धन्यवाद, जिन्होंने बड़ी मेहनत से इन सभी स्क्रीनशॉट को एकत्र किया। इस मुद्दे पर उनके ट्विटर थ्रेड को यहां देखा जा सकता है – https://twitter.com/vijaygajera/status/1491728209200783360

शुक्रिया आनन्द जी, 🙏
बहुत अच्छी जानकारी। सचमुच इस विवाद की पोल खोल कर रख दी है।
Very useful