जैसे ही आप वीर सावरकर कहते हैं, कोई दया याचिका का जिक्र करता है। यदि हम इतिहास पर नज़र डालें तो केवल सावरकर ही नहीं बल्कि सभी अच्छे सैन्य रणनीतिकारों ने समय और स्वतंत्रता हासिल करने के लिए इस तरह की हथकंडों का इस्तेमाल किया है। एक बार जब वे ताकत हासिल कर लेते हैं, तो वे उचित समय पर पलटवार करते हैं। चूंकि हम दया याचिकाओं पर चर्चा कर रहे हैं, इसलिए कॉमरेड श्रीपाद अमृत डांगे की दया याचिका पर भी एक नजर डालते हैं। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उस समय और भारतीय स्वतंत्रता के दशकों बाद तक कम्युनिस्ट पार्टी पर विदेशियों का नियंत्रण था। श्रीपाद अमृत डांगे की दया याचिका भाकपा (माले) की वेबसाइट – https://cpiml.org/library/communist-movement-in-india/documents/text-x-miscellaneous-materials/ पर उपलब्ध है सावरकर के बारे में और जानने के लिए, मैं सावरकर पर विक्रम संपत की किताब पढ़ने का सुझाव दूंगा। यह कई भाषाओं में उपलब्ध है – 1. अंग्रेजी – भाग 1: https://amzn.to/3FBvfue 2. अंग्रेजी – भाग 2: https://amzn.to/3v67XI0 3. हिंदी – भाग 1: https:// https://amzn.to/3v9WVSf

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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