सहसा कोई शै हवा में सनसनाती हुई आई। एक जूता! मराठी जूती! लाल चमड़ी की जूतावाला जूती, जिसकी एड़ी में खरोंच लगी थी। यह जूता लग गया सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के गाल पर और फिरोज शाह मेहता से टकराया। यों उड़ते हुए धरती के जूतों पर गिरा जैसे वह कोई सिगनल हो। पगड़ीधारी लोगों की सफेद छाया ने कांग्रेस मंच पर धावा बोल दिया। लपकते झपकते और क्रोध से फुंकारते वे नोटिस आते हैं और जो कोई उन्हें मॉडरेट करता है, दनादन उसी की पिटाई कर दी। दूसरे ही पल मैंने इण्डियन नेशनल कांग्रेस का हुड़दंग होते देखा। – एन. जी. जोग, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (सूरत काण्ड, संलग्नक 1907) जुत्तम-पेजर एक प्राचीन कांग्रेसी परंपरा है जिसके तहत पीट के कम्युनिस्ट कार्यालय से एसी सीवी ले जाने के साथ भी कुछ झूमा-झटकी हुई। हमें नहीं लगता कि यह दोस्ताना धौल-धप्पे के बदले कूट दिया जाना कहना कहीं से भी उचित है!

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

One thought on “क्या लखनऊ में कन्हैया कुमार पर स्याही फेंकी गई थी?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *