बांकी सब तो ठीक है मगर राष्ट्रपति के चुनाव मे ईवीएम का उपयोग क्यों नही किया जाता ? थोड़ा जल्दी हो जाता या फिर कम वोट ! कुछ लोगो को सुन रहा था पान दूकान पर इस तरह की बाते करते तो हम भी अपना ज्ञान लगे पेलने लगे बोले राष्ट्रपति के चुनाव मे विधायक से लेकर सांसद तक वोट डालते हैं और हर वोट की वैल्यू उनके पद के अनुसार होती है यहां पर सब धन बाइस पसेरी नही है इसलिए ईवीएम का प्रयोग संभव नही! फिर क्या था बहस ने जोड़ पकड़ लिया एक सज्जन बोले खैनी रगड़ते हुए “अगर ऐसा है तो फिर अलग अलग वोटिंग करवा लीजिए हम पूछे “कैसे” त तपाक से बोलें “विधायक जी के लिए अलग ईवीएम सांसद के लिए अलग ईवीएम फिर जितना वोट है उससे गुना कर दो ,
हम फिर से ज्ञान पेल दिए बोले राज्य के अनुसार विधायक की वैल्यू घटती बढ़ती बड़ा उलझा हुआ मामला है इसलिए भी ये संभव नहीं
तभी अचानक एक बुलेट से हमारे जानने वाले एक मित्र उतरे आते ही बोल पड़े “ऐसा करेगा तो मान लो एक आध गो इवियम इधर से उधर हो गया फिर फिर संख्या मिलाए न मिलेगी फिर बैठ के जोड़ते रहिएगा,
कागज मे सब लिखा होता है डिब्बा इधर से उधर हो भी गया फिर भी काउंटिंग मे गड़बड़ी नहीं होगी हमारे मित्र किशोरीलाल वहा पर बैठे अखबार मे अपना राशिफल देख रहे थे उन्होंने अखबार को फाड़ते हुए कहा “साला अखबार भी नही ढंग से तुम लोग पढ़ने देता है अबे राष्ट्रपति बनेगी मुर्मू पैसा और सम्मान मिलेगा उसको सर्वोच्च पद पर बैठेगी वो तुम सबको क्या मिलेगा ? हमारे मुखिया जी वोट दिए हैं जी ? उस समय से तुम लोग का फ़ालतू भाषण सुन रहें हैं ! हम चुपचाप मुंह मे पान दबा के खिसक लिए