हरियाणा में इस साल के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस-आम आदमी पार्टी (आप) गठबंधन के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान, भाजपा ने 44 और कांग्रेस-आप ने 46 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी। हालांकि, कृषि प्रधान राज्य में कुछ क्षेत्रों में निर्दलीय और क्षेत्रीय पार्टी के उम्मीदवार भी मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं, जिससे दोनों राष्ट्रीय दलों की राजनीतिक गणना गड़बड़ हो सकती है।

पिछले चुनावों का संदर्भ

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में कोई भी दल भारी जीत नहीं हासिल कर पाया। कांग्रेस और भाजपा ने क्रमशः 2009 और 2019 में साधारण बहुमत से पीछे रहकर सरकारें बनाई, जिनमें निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों का समर्थन शामिल था। 2014 की ‘मोदी लहर’ के बावजूद, भाजपा विधानसभा चुनाव में 45 सीटों के बहुमत को पार करने में असफल रही।

इस बार का मुकाबला

इस बार 462 निर्दलीय समेत 1031 उम्मीदवार मैदान में हैं। निर्दलीय और क्षेत्रीय पार्टी के उम्मीदवार, विशेषकर अंबाला छावनी, हिसार, उचाना कलां, बहादुरगढ़, महेंद्रगढ़, गन्नौर और बड़ौदा जैसे क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ मिलकर लगभग आधी सीटों पर गंभीर लड़ाई लड़ने की तैयारी की है। हरियाणा जन सेवक पार्टी और हरियाणा लोकहित पार्टी भी मजबूत प्रतियोगी हैं।

आम आदमी पार्टी का योगदान

आम आदमी पार्टी ने 89 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी ने कई सीटों पर आक्रामक प्रचार किया है, जिसमें कलायत, जगाधरी, भिवानी, घरौंदा, बरवाला, रानिया, सोहना और रेवाड़ी शामिल हैं।

गठबंधन और विद्रोही उम्मीदवार

जननायक जनता पार्टी इस बार आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, जिससे कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में परिणाम बदलने की संभावना है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कई नेताओं को निष्कासित किया है, जो अब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

संभावित परिणाम

पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अपने समर्थकों को वोटों के विभाजन के प्रति सचेत रहने की सलाह दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि पिछले चुनाव में एक पार्टी ने 10 सीटें जीती थीं, जिससे सरकार बनाने का अवसर गंवाना पड़ा था।

चौटाला के नेतृत्व वाले गठबंधन और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने चुनाव के बाद के परिदृश्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का आश्वासन दिया है।

निष्कर्ष

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कई निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या से खंडित जनादेश की संभावनाएं बनी हुई हैं। सभी दलों की नजरें चुनाव के परिणामों पर टिकी हैं, जो राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।

By Aware News 24

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