अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए फंड रद्द करने का फैसला किया, भाजपा ने इसे “बाहरी हस्तक्षेप” बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत में मतदाता मतदान को बढ़ावा देने के लिए $21 मिलियन के फंड को रद्द करने का फैसला किया है। यह निर्णय अमेरिकी सरकार की दक्षता विभाग (DOGE) की सिफारिश के बाद लिया गया। ट्रम्प ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना सम्मान जताया, लेकिन इस पहल के वित्तपोषण के विचार की आलोचना की।
मुख्य खबर:
मंगलवार (18 फरवरी, 2025) को मार-ए-लागो में कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करते हुए, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, “हम भारत को $21 मिलियन क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत अधिक पैसा है। वे उच्चतम कर देने वाले देशों में से एक हैं। हमारे संदर्भ में दुनिया।”
16 फरवरी को, DOGE ने “भारत में मतदाता मतदान” के लिए $21 मिलियन के फंड सहित रद्द किए गए अमेरिकी करदाता-वित्त पोषित पहलों की एक सूची जारी की। इस घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अमित मालवीया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मालवीया ने लिखा, “मतदाता मतदान के लिए $21 मिलियन? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे कौन लाभ प्राप्त करता है? सत्तारूढ़ पार्टी निश्चित रूप से नहीं!”
पृष्ठभूमि:
यह फंड भारत में मतदाता जागरूकता और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चिह्नित किया गया था। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन ने भारत की आर्थिक स्थिति और वैश्विक करदाता धन के उपयोग पर सवाल उठाते हुए इसे रद्द कर दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
भाजपा ने इस फंड को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन इसे भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप के रूप में देखा है। मालवीया के बयान ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है।
निष्कर्ष:
यह निर्णय अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों पर नए सिरे से बहस छेड़ सकता है। साथ ही, यह भारत की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप के मुद्दे को फिर से उजागर करता है।