22.4 फीसदी किशोर-किशोरियों का कौसल विकास और सशक्तिकरण हो प्राथमिकता: यूनिसेफ़ चीफ़
राष्ट्रीय बालिका दिवस को लेकर आयोजित वेबिनर में किशोर-किशोरियों ने आला अधिकारियों से की बातचीत

पटना 28 जनवरी: राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर किशोरियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए महिला विकास निगम, बिहार सरकार ने यूनिसेफ बिहार और एक्शन एड एसोसिएशन के सहयोग से एक राज्य स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया. इस आयोजन के माध्यम से सुदूर गांवों में रहने वाले किशोर-किशोरियों को वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारीयों से सीधे बातचीत करने का मौक़ा मिला. इसका उद्देश्य समाज के पिछड़े एवं वंचित वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के किशोरियों को एक मंच मुहैया कराना था जिसके माध्यम से वे कोरोना महामारी के दौरान अपने अनुभव साझा कर सकें. वेबिनार के दौरान अलग-अलग ज़िलों के किशोर-किशोरियों ने अपनी समस्याओं व सरोकारों के बारे में खुल कर बात करने के अलावा छेड़खानी और लड़कियों के प्रति हिंसा की रोकथाम के लिए सुझाव भी दिए. समस्तीपुर जिले के कल्यानपुर ब्लाक की रहने वाली 12वीं कक्षा की छात्रा गुलनाज़ खातून ने लैंगिक असमानता पर सवाल करते हुए कहा कि “जब लड़के पढ़ाई कर सकते हैं, तो लड़कियां क्यूँ नहीं? लड़कियों को हर चीज़ के लिए जद्दोजहद क्यूँ करनी पड़ती है?”
वेबिनार के दौरान बोलते हुए महिला विकास निगम, बिहार सरकार की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर ने कहा, लड़कियों को बचपन से इंडिपेंडेंट सोच के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है. अपने पिता, भाई या अन्य पुरुष सहयोगी से सलाह लेने में कोई बुराई नहीं, लेकिन उन्हें अपने फ़ैसले ख़ुद लेने चाहिए. महिला सशक्तिकरण को लेकर सोच के स्टार पर एक बड़े बदलाव की ज़रूरत है. अगर हम सही मायने में लड़कियों को सशक्त करना चाहते हैं तो हमें समावेशी दृष्टिकोण के साथ कार्य करना होगा. उन्होंने लड़कियों और उनके अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि महिला विकास निगम हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल कर किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. साथ ही, इसपर उन्हें छात्रवृति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिल सकती हैं. बच्चों में मानसिक तनाव और विधि विवादित बच्चों की मदद के लिए प्रत्येक जिले में चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन और बाल संरक्षण समिति के काउंसलर की व्यवस्था की गयी है.”.
यूनिसेफ बिहार की चीफ फील्ड ऑफिसर नफ़ीसा बिंते शफ़ीक़ ने कहा कि सरकारी योजनाओं के माध्यम से लड़कियों को सशक्त करने में मदद मिली है. बिहार की कुल आबादी में किशोर और किशोरियों की संख्या 22.4 फीसदी है और इनके कौशल विकास के लिए और कार्य करने की जरूरत है. हाल ही में समाज कल्याण विभाग द्वारा यूनिसेफ बिहार के सहयोग से बाल देखभाल संस्थाओं में रहने वाली 14 लड़कियों को होटल प्रबंधन में एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स करने के लिए बेंगलुरु भेजा गया है. सभी भागीदारों को साथ लेकर एक समावेशी कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है जिससे कि लड़कियों का सर्वांगीण विकास हो सके.
वेबिनार का संचालन कर रहीं यूनिसेफ बिहार की बाल संरक्षण अधिकारी गार्गी साहा ने कहा कि किशोरियों को अपने अनुभव और अपेक्षाओं को सरकार और अन्य गैर सरकरी संस्थाओं के साथ साझा करने के लिए एक मंच की जरूरत है. इस वेबिनार को उनके इसी ज़रूरत को पूरा करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है. साथ ही, इसके ज़रिए लड़कियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूक करना भी है. आज के इस कार्यक्रम से नीति निर्माता भी किशोरियों के मुद्दों, अनुभव और विचारों से रूबरू हो पाएंगे. उन्होंने आगे बताया कि 13 ज़िलों जहां बच्चों से संबंधित संकेतक अपेक्षाकृत ख़राब हैं वहाँ यूनिसेफ और एक्शन एड की मदद से महिला विकास निगम द्वारा कई किशोर समूहों (एडोलेसेंट ग्रुप)का गठन किया गया है जो किशोर-किशोरियों के बीच जागरूकता पैदा करने में मदद करते हैं। अब तक, पूरे बिहार में लगभग 40,000 ऐसे समूह बनाए जा चुके हैं.
अनिल किशोर यादव, एडीजी, कमजोर वर्ग, सीआईडी, बिहार पुलिस ने आपराधिक दंड संहिता की धारा 41 के दुरूपयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई. उन्होंने कहा कि बच्चों और महिलाओं की समस्याओं को दूर करने के लिए न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करने और संबंधित विभागों के साथ मिलकर के एक प्रभावकारी कार्यक्रम बनाने की जरूरत है.
यूनिसेफ बिहार की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम लड़कियों और उनके जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाएगा. बच्चों की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों और नीति निर्माताओं के बीच नियमित रूप से संवाद के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए.
वीणा कुमारी, एसपी, सीआईडी ने कहा कि हमारा विभाग पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस, वायरल वीडियो और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से कर रहा है. हमारे दो विंग इस पर लगातार काम कर रहे हैं.
कोरोना काल के अनुभव बताते हुए “फूल कुमारी” नामक किशोरी समूह की 19 वर्षीय रूचि कुमारी ने शैक्षणिक संस्थानों के पास चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन बनाने और महिला पुलिस कर्मियों को तैनात करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इससे लड़कियों के खिलाफ होने वाले छेड़खानी की घटनाएँ नहीं होंगी.

समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड की गुलनाज़ खातून, फरज़ाना खातून और गुलशन खातून जिन्होंने सादिया किशोरी समूह बनाया है ने अपनी पढाई से जुड़ी बातें साझा कीं. पुर्णिया जिले के महादलित समुदाय से आने वाले 17 वर्षीय अंशु और 19 वर्षीय करण ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के बीच कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाया. दोनों ने किशोरों के लिए ऑनलाइन शिक्षा और कौशल विकास मुहैया कराने पर जोर दिया.
किशोर और किशोरियों के अनुभव सुनने के बाद कार्यक्रम के दौरान मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके मुद्दों को गंभीरता से लेने और कार्य करने का आश्वासन दिया.
इस दौरान उदयन केयर, नई दिल्ली की डॉ. किरण मोदी और सीवाईसी की कनिका भी मौजूद रहीं. महिला विकास निगम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed