पटना। लोक नृत्य महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे किसी विशेष क्षेत्र की संस्कृति को जीवित रखने में मदद करते हैं। ये आनंद और प्रसन्नता को अभिव्यक्त करने वाले सरल नृत्य हैं, जो शरीर की चाल, चेहरे की भाव-भंगिमाएँ, वेशभूषा, आभूषण, सजावट के माध्यम से सामने आते हैं। ये बातें सोना कला केन्द्र के निर्देशक रुपेश रंजन सिन्हा ने त्रिभुवन उच्च माध्यमिक विद्यालय नौबतपुर में आयोजित चार दिवसीय लोक नृत्य कार्यशाला के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोक नृत्यों को समुचित प्रोत्साहन व संरक्षण देने की आवश्यकता है अन्यथा इन्हें लुप्त होने से नहीं बचाया जा सकता।
विद्यालय की प्राचार्या ने बताया कि चार दिन तक चली इस कार्यशाला में कई छात्राओं ने झिझिया नृत्य की बारिकियां सीखीं। कार्यशाला के समापन समारोह पर प्रतिभागियों के बीच प्रमाणपत्र का वितरण किया गया और उन्होंने नृत्य की सराहनीय प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सोना कला केन्द्र की प्रशिक्षक रिया भारती, राधा सिन्हा, प्रिया चौधरी, तनवी कुमारी, स्वीटी कुमारी, निशा कुमारी, प्रिया गुप्ता, आकांक्षा कुमारी, जीया कुमारी, दिव्या कुमारी, काजल कुमारी, कनक कुमारी, सोनम कुमारी, अन्नुप्रिया, तन्नू कुमारी, के साथ साथ कई छात्र- छात्राएं तथा शिक्षक मौजूद रहे।