पटना। बिहार सरकार द्वारा 3 मार्च 2025 को पेश किए गए बजट को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस बजट को पारदर्शिता के खिलाफ बताते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बिहार के मौजूदा सांसद सुधाकर सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कई चौंकाने वाले दावे किए हैं।

सांसद सुधाकर सिंह का कहना है कि इस बजट की सबसे बड़ी लाभार्थी ईशा वर्मा हैं, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी हैं। उनके अनुसार, इस साल बिहार बजट में घोषित 25 करोड़ रुपये का बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड सीधे तौर पर एक निजी कंपनी बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है।

क्या है आरोप?

सांसद सुधाकर सिंह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि यह फंड बिहार सरकार के वित्त विभाग द्वारा बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड को सौंपे जाने की योजना है, जबकि यह कंपनी मात्र 2.5 महीने पहले 17 दिसंबर 2024 को दिल्ली में रजिस्टर्ड की गई थी।

सांसद ने यह भी दावा किया कि जब बिहार विधानसभा में वित्त मंत्री सम्राट चौधरी बजट में 25 करोड़ रुपये के बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड की घोषणा कर रहे थे, उसी समय बोधी सेंटर ने अपने LinkedIn सोशल मीडिया अकाउंट से इस घोषणा का स्वागत करते हुए एक विस्तृत लेख पोस्ट किया। इससे यह साफ होता है कि इस कंपनी को बजट की जानकारी पहले से दी गई थी, जो नीतिगत भ्रष्टाचार का मामला है।

सांसद ने कहा कि बजट से पहले वित्त विभाग की गोपनीय बैठकों में भी इस कंपनी की मालिक ईशा वर्मा को शामिल किया गया था, जबकि उनके पास इस तरह की बैठकों में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं था। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगले महीने के शुरुआती दिनों में इस कंपनी को सरकारी और निजी क्षेत्र से फंड दिलवाने की कोशिश की जा रही है।

बोधी सेंटर का पता और जांच की मांग

सांसद ने कहा कि बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्टर्ड पता प्लॉट नंबर 2, शॉप नंबर 3, LSC, सेक्टर 6, द्वारका, नई दिल्ली 110075 है। उन्होंने मांग की है कि इस पते पर रजिस्टर्ड अन्य कंपनियों की भी जांच होनी चाहिए और देखा जाना चाहिए कि उनके बीच कोई आपसी संबंध तो नहीं है।

सांसद सुधाकर सिंह की मांगें

  1. ईशा वर्मा और बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड को बिहार सरकार की किसी भी बैठक में शामिल होने से रोका जाए।
  2. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।
  3. इस पूरे मामले की आर्थिक अपराध इकाई से गहन जांच करवाई जाए।

बिहार बजट 2025: आर्थिक विश्लेषण

सांसद सुधाकर सिंह ने इस प्रेस विज्ञप्ति में बिहार बजट के आर्थिक पक्षों की भी गंभीर आलोचना की और कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उजागर किए।

  1. बिहार सरकार का कुल ऋण

    • वर्ष 2023-24 में ₹3,32,741 करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़कर ₹3,62,036 करोड़ हो जाएगा।
    • मात्र एक वर्ष में ₹29,295 करोड़ की वृद्धि, जो 8.09% की बढ़ोतरी है।
    • यह बिहार की GDP का 37.1% हिस्सा है।
  2. प्रति व्यक्ति आय

    • बिहार में प्रति व्यक्ति आय ₹36,333 है, जो राष्ट्रीय औसत ₹1,06,744 से बहुत कम है।
    • पिछले साल की तुलना में मात्र 3.7% की वृद्धि, जो GDP की विकास दर से भी कम है।
  3. कृषि क्षेत्र की अनदेखी

    • बिहार की 75% आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन सरकार ने मात्र 5.6% निवेश किया है।
    • बिहार के किसानों का GDP में 25% योगदान होने के बावजूद उन्हें लाभ नहीं मिल रहा।
  4. महिलाओं के लिए योजनाएं केवल दिखावा?

    • सरकार ने वेंडिंग जोन बनाने की घोषणा की, लेकिन पिछले 20 वर्षों में पटना में एक भी वेंडिंग जोन नहीं बना।
    • बिहार में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट तक की सुविधा नहीं है।
  5. शिक्षा क्षेत्र में घोर लापरवाही

    • सरकार ने 398 प्रखंडों में नए कॉलेज खोलने की घोषणा की, लेकिन बजट में इनके लिए समुचित धनराशि नहीं दी गई।
    • यह केवल चुनावी जुमला साबित हो सकता है।
  6. स्वास्थ्य सेवा की बदहाली

    • CAG रिपोर्ट 2024 के अनुसार 57% डॉक्टरों के पद खाली हैं।
    • बिहार सरकार का 70,000 करोड़ का स्वास्थ्य बजट होने के बावजूद 22,000 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए।
  7. राजस्व संग्रहण में भारी गिरावट

    • बिहार की GSDP का 15% राजस्व संग्रहण होना चाहिए, लेकिन यह मात्र 5.50% है।
    • टैक्स चोरी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण बिहार संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा है।
  8. रोजगार योजनाओं की हकीकत

    • 92 लाख लोगों को लघु उद्यमी योजना से लाभान्वित करने की घोषणा, लेकिन पिछले साल सिर्फ ₹214 करोड़ आवंटित किए गए।
    • इस गति से 92 लाख लोगों को लाभ देने में 900 साल लगेंगे!
  9. क्षेत्रीय असमानता

    • बिहार में पटना और अन्य जिलों के बीच आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है।
  10. शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण

  • सरकार निजी कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोलने पर जोर दे रही है, जिससे गरीब छात्रों के लिए उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं और महंगी हो जाएंगी।

क्या कहती है बिहार सरकार?

फिलहाल बिहार सरकार की ओर से सांसद सुधाकर सिंह के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्ष ने इसे नीतीश सरकार की भ्रष्टाचार नीति का उदाहरण बताया है और इस पर विस्तृत जांच की मांग की है।

अब देखना होगा कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या इन आरोपों की जांच होती है या नहीं।

(विशेष रिपोर्ट: Aware News 24)

By Shubhendu Prakash

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