पटना उच्च न्यायालय ने स्कूली शिक्षकों के लिए नए भर्ती नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने सोमवार को प्रक्रिया पर रोक लगाने से परहेज करते हुए कहा कि अदालत जब उचित समझेगी तो ऐसा करने पर विचार करेगी। यह बिना परीक्षा के बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्यवाही और सेवा शर्तें) नियम, 2023 के तहत सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर 2006 से कार्यरत शिक्षकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वकील अभिनव श्रीवास्तव ने कहा कि 2006 से नियुक्त शिक्षकों को 17 साल तक सेवा देने और नई भर्तियों के लिए आवश्यक योग्यता होने के बावजूद नए सिरे से परीक्षा देनी होगी।
सरकार ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को अंकों में 5-10% तक की छूट की पेशकश की है। इस आशय की अधिसूचना सोमवार को जारी की गई।
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने पिछले महीने दिसंबर तक करीब 1,70000 स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था।
सरकार ने कहा है कि स्कूली शिक्षकों की सभी नई नियुक्तियां बीपीएससी के माध्यम से की जाएंगी और भर्ती परीक्षा पास करने वालों को ही सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलेगा। मौजूदा शिक्षकों को भी दर्जा दिए जाने की प्रक्रिया से गुजरना होगा। अगर वे टेस्ट क्लियर नहीं करते हैं तो उन्हें इंक्रीमेंट तो मिलेगा लेकिन हैसियत नहीं।