संयुक्त राष्ट्र | 22 जुलाई 2025:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च-स्तरीय खुली बहस में भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला है। भारत ने कहा कि जो राष्ट्र सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उन्हें इसके लिए “गंभीर कीमत” चुकानी चाहिए। भारतीय राजदूत पार्वाथनी हरीश ने पाकिस्तान को एक ऐसा देश बताया जो “कट्टरता” में डूबा हुआ है और जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का “सीरियल उधारकर्ता” बन गया है।
✍️ भारत का कड़ा बयान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वाथनी हरीश ने कहा:
“जब हम अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने की बात करते हैं, तो हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि कुछ मूलभूत सिद्धांत हैं जिन्हें सभी देशों को मानना होगा – उनमें से एक है आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता।”
यह बयान पाकिस्तान की अध्यक्षता में हुई उस बहस के दौरान दिया गया, जिसका विषय था “बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण निपटान के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना”।
🧷 पाकिस्तान की अध्यक्षता, भारत की सख्त आपत्ति
इस बैठक की अध्यक्षता पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने की, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी संबोधित किया। डार ने जम्मू-कश्मीर और सिंधु जल संधि जैसे विषयों को उठाया। इसके जवाब में श्री हरीश ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए उसे “आतंकवाद और कट्टरता में डूबा देश” करार दिया।
“एक ओर भारत है — एक परिपक्व लोकतंत्र, समावेशी समाज और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था; दूसरी ओर पाकिस्तान है — एक ऐसा देश जो आतंकवाद और कट्टरता में लिप्त है और IMF से बार-बार कर्ज लेता है।”
🛑 पहलगाम हमले का हवाला और ऑपरेशन ‘सिंदूर’
श्री हरीश ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-स्थित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी।
“भारत ने इस हमले के बाद ऑपरेशन ‘सिंदूर’ चलाया जिसमें पाकिस्तान और पाक-ओक्यूपाइड कश्मीर में मौजूद आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया।”
उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन केंद्रित, मापा हुआ और गैर-उत्तेजक था और अपने उद्देश्य की प्राप्ति के बाद इसे समाप्त कर दिया गया।
🇺🇸 अमेरिका की भूमिका और समर्थन
अमेरिकी प्रतिनिधि डोरोथी शीया ने कहा कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान, इज़राइल-ईरान और कांगो-रवांडा के बीच तनाव कम करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इन देशों को “डी-एस्केलेशन” के लिए प्रेरित किया।
🔍 बहुपक्षीय प्रणाली पर सवाल
श्री हरीश ने यह भी कहा कि वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है, विशेषकर सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधित्व को लेकर। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि “राष्ट्रीय स्वामित्व और सहमति” किसी भी संघर्ष समाधान के लिए अनिवार्य है।
उन्होंने कहा:
“संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना उसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है। भारत ने G20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने में भूमिका निभाई है, जिससे समावेशिता को बढ़ावा मिला है।”
📌 निष्कर्ष
भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के समर्थन या संरक्षण की कोई भी कोशिश अंतर्राष्ट्रीय नियमों और पड़ोसी संबंधों की भावना का घोर उल्लंघन है। इस तरह भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपने संकल्प को मज़बूती से दोहराया है।