बिहार में आंधी तूफ़ान आते ही बिजली क्यों गायब हो जाती है ?बिहार में आंधी तूफ़ान आते ही बिजली क्यों गायब हो जाती है ?

बिजली आंधी तूफ़ान आयेगा और कट जाएगा भैया जिम्मेदार कौन नितीश कुमार या तेजश्वी यादव या फिर नरेन्द्र मोदी ? कौन है जिम्मेदार ? इतने वर्षो में आखिरकार बिजली का इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक क्यों नही किया गया ?

नितीश कुमार दल बदलने में व्यस्त दिखे आजकल अपने ही पूर्व के साझेदार पर तीर खींचते हुए देखे जा सकते हैं। और इनका बिजली विभाग क्या कर रहा था ? तो भैया पोस्ट पेड मीटर को हटाकर prepaid व्यवस्था लागू कर रहा था। इसकी जिम्मेदारी किसकी बनती है नरेंद्र मोदी और मौजूदा केंद्र सरकार की जिसने कसम खाकर सभी बिजली के मीटर को prepaid बनाना है क्योंकि बिजली के बिल में बड़ी गड़बड़ी है।

हम आम लोगो को परेशान नही देखना चाहते। ये तर्क दिया जाता है सरकार के द्वारा, मानो कितनी भली है ये सरकार ! अब इसको दुसरे ढंग से देखिये

मान लिया जाए आप एक रेस्टुरेंट में खाने गये हो और खाने से पहले ही आपको कहा जाए की जेब में पैसा है ? कुछ जगहों पर टोकन की व्यवस्था होती है मगर वो भीड़ भाड़ वाली जगहों पर आम तौर पर हम बिल खाने के बाद ही चुकाते हैं मगर सरकार को टोकन वाला सिस्टम पसंद है।

क्योंकि जनता तो चोर है बिजली जला लेगी और पैसा नही देगी इसलिए आपसे पहले पैसा वसूल लिया जाता है। तो क्या समझे गुरु अब कौन जिम्मेदार है नरेंद्र मोदी या नितीश या फिर तेजश्वी यादव ख़ैर जो भी हो बिजली के तारो को भूमिगत करने की योजना कहा गई ? वो स्वयम ही भूमिगत हो गई है। (सम्बंधित आर्टिकल :-पोस्टपेड बिजली का मीटर बनाम प्रीपेड बिजली का मीटर )

पर्याप्त से ज्यादा बिजली होने का क्या लाभ जब बिजली का खभा , पोल , तार और ट्रांसफार्मर जर्जर हो। तब पर्याप्त हो या नही बिजली तो कटेगी ही ना ! क्यों ठीक कह रहा हु ना !

चलिए इसको एक उदाहरण के माध्यम से देखते हैं। मान लीजिये आपके पास key पेड फ़ोन हो अरे वही पुराना वाला फिर चाहे आप कितना भी उसमे डाटा भरवा लीजिये इन्टरनेट तो नही ही चलने वाला अब समझे गुरु बिजली का हाल !

केंद्र की मोदी सरकार खुद तो मुफ्त की रेवड़ी बांटती है (मुफ्त राशन , मुफ्त घर , मुफ्त शौचालय) मगर जब दिल्ली के अरविन्द केजरीवाल मुफ्त में बिजली देते हैं तो उसे डांटती है। जिनके खुद घर सीसे के हो वो दुसरो पर कीचड़ नही उछालते। मगर हो क्या रहा है ? कीचड़ ही कीचड़।

महँगी बिजली, महंगी पढ़ाई और महगी दवाई से हम क्या ख़ाक विश्व गुरु बनेगे ? सरकार कहेगी आयुष्मान भारत योजना, ये योजना वो योजना फलाना धिकाना और इन योजनाओं में दुनिया भर के नियम कानून। क्यों आपको विश्वास नही हो रहा ! तो आइये देखते है एक हाल की योजना/नियम को।

पैन कार्ड और आधार दोनों को लिंक करने के लिए अब आपको 1000 रूपये देने होंगे जिन्होंने लिंक नही किया है । बड़ा सवाल ये है की भारत का वो कौन सा व्यक्ति है जिसका आधार और Pan Card बैंक में नही है ? तुम्हारे पास है ही खुद ही लिंक कर दो।

लेकिन नही सरकार कहेगी ऐसा कैसे हो जाएगा ! फिर से लालफीतासाही, इतने नियम बनाये इस सरकार ने की खुद ही गिनना भूल गये। एक विफल योजना को छिपाने के लिए एक और नई योजना।

मतलब भैया आप मैट्रिक पास मत कीजिये हम आपको स्नातक पास करवा देंगे क्यों ठीक है ना मोदी जी !

अभी हाल में ही कर्नाटक के इलेक्शन में भाजपा का सिलिंडर फट गया। क्यों फटा तो वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई बाताते हैं की ये election सिलिंडर इलेक्शन था लोग महगाई से त्रस्त थे। इसीलिए सिलिंडर फटा और मोदी जी का जादू नही चल पाया।

डिजिटल India में नियम इतने बना दिए, इतनी सारी योजना ला दी और उन योजनाओं के इतने सारे नियम की सब पर लालफितासाही कायम हो गया।

बिजली, पढ़ाई  और दवाई मुफ्त कर दीजिये और मुफ्त की सारी रेवड़ी अपने पास रखिये. रोज़गार आदि हम खुद से ले लेंगे भीख मत दीजिये सरकार, चाहिए भी नही, आत्म निर्भर का नारा एक सगुफा जैसा लगता है। और उसे जुमला भी कह सकते हैं। जब तक की स्वास्थ सिक्षा और बिजली लोगो तक मुफ्त में ना पहुचे तब तक सब जुमला है।

खाने और घर के लिए श्रम तो करना ही चाहिए। मगर कोढ़ी बनाने में ये सरकार लगी है और एक तरफ आत्मनिर्भर भारत बनाने का सगुफा भी है। राहुल गांधी बुझाता है ठीके कह रहें थे की ये अडानी अम्बानी की सरकार है। जनता से वसूल करो और पूंजी पतियों के चरणों में समर्पित करो।

सरकार जनता से नए नए तरीके निकालती है पैसे ऐठने के पैतरे निकालती है। कभी मोटर vehicle act में बदलाव करती है, तो कभी सोना हालमार्क वाला पहनने को कहती है। सब योजना में पैसा वसूलने का मोटो छिपा है वास्तव में कॉर्पोरेट टैक्स माफ़ जब होगा या घटेगा फिर पैसा भी घटेगा तो होगा क्या भैया ! पैसो की कमी और उसके लिए गरीब जनता के चमरी से दमरी तो निकालना ही पड़ेगा न ! क्यों ठीक कह रहा हु या गलत !

भाई साहेब डेमोक्रेसी अब डमरूक्रेसी बन चुकी है और कब नही थी ? एक रेरी वाले से एक दिन ऐसे ही ठिठोली में पूछ दिया पहले की सरकार में और अब की सरकार में क्या फर्क है ? उसने कहा भैया नाच तो हम लोग पहले भी रहे थे मगर अब घुर्मी लग रहा है . मैंने बस मुस्कुरा दिया।

बिजली की दरे सस्ती हो या  मुफ्त हो, मुफ्त में सिक्षा मिले और मुफ्त में इलाज इतना जब तक कोई सरकार नही करेगी तब तक बजाते रहिये झाल और ये सब होगा कैसे तो मेरा एक पुराना आर्टिकल है। कैसे होगा बिजली पानी सिक्षा और सवास्थ्य मुफ्त पढ़ लीजिये ये रहा लिंक

अंतर्राष्ट्रीय मजदुर दिवस , मजदुर है कौन ? परिवार वाद, कर्मयोग, मुफ्त की रेवड़ी से क्या होता है और मुफ्त बिजली-पानी, स्वास्थ और शिक्षा कैसे मिलेगा ?

उम्मीद है राज्य सरकार और बिहार सरकार तक आप लोग मेरी बात पहुचाने में मेरी मदद करेंगे करना कुछ नही बस share कर दीजिये अपने facebook ट्विटर और whatsapp से बस कल्याण हो जाएगा नही तो पहले भी झाल बजा रहें थे अब भी बजाइए।

मित्रो साप तो सब है मगर चुनना उस सांप को है जिसके काटने से हम मरे नही, हॉस्पिटल से घर की और सुरक्षित लौट जाए।

अंत में मेरा भी एक तकिया कलाम है कृष्ण है तो कर्म है और कर्म है तो कृष्ण है राधे राधे

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