सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं न्यायालय में दायर की गयीं, जिन्हें अदालत की संविधान पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के विरोध में दायर की गयी याचिकाओं पर सुनवाई से ठीक पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना मोदी सरकार की एक बड़ी कामयाबी है। मध्य प्रदेश के इंदौर में रविवार को भाजपा की एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने (जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले) अनुच्छेद 370 को 70 साल तक गोदी में अपने बच्चे की तरह पाल कर रखा था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह अनुच्छेद हटाकर कश्मीर को भारत के साथ जोड़ दिया।
हम आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ दो अगस्त से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इससे पहले, अमित शाह का यह बयान दर्शा रहा है कि सरकार अपने फैसले के विरोध में दायर याचिकाओं का पुरजोर विरोध करेगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण सरीखे मामलों में भी मोदी सरकार के कदमों की सराहना की। उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ”2004 से 2014 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में पाकिस्तान से आतंकी (भारत) आते थे और वारदातों को अंजाम देकर चले जाते थे, लेकिन तब केंद्र की सरकार उफ्फ तक नहीं करती थी।” शाह ने लोगों से पूछा, ‘‘कांग्रेस अपना नाम बदल ले, फिर भी क्या आप इस पार्टी को वोट दे सकते हैं?’’
हम आपको याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को पूवर्वर्ती जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेते हुए राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। सरकार के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं न्यायालय में दायर की गयीं, जिन्हें अदालत की संविधान पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया गया था। 11 जुलाई को शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को वापस लेने के फैसले को चुनौती देने वाले विभिन्न आवेदनों पर दो अगस्त से रोजाना सुनवाई की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न पक्षों द्वारा लिखित अभिवेदन दाखिल करने की समयसीमा 27 जुलाई तय की थी।