शैलेंद्र सराफ के संग्रह में उपलब्ध रुपये
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नोटबंदी चाहे आम लोगों के जीवन में परेशानी है, लेकिन नोट और सिक्के का संग्रह करने वाले लोग इन खड़िया को आज भी संग्रह में संजाने में जुटे हैं। शहर में सिक्के और रुपयों के संग्रह शैलकर्ता होती सराफ ने बताया कि भारत में पहले भी नोटबंदी हो रही है। मोदी सरकार की 2016 की 500 और एक हजार रुपये की नोटबंदी तो सभी को याद है, लेकिन साल 1978 में मोरारजी देसाई सरकार की नोटबंदी कम लोगों को ही याद है।
वर्ष 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने एक हजार रुपये, पांच हजार रुपये और 10 हजार रुपये के नोट बंद किए थे। ये नोट 1954 में भारत सरकार ने चालू किए गए थे। संग्रहकर्ता शैलेंद्र सराफ ने बताया कि भले ही मोदी सरकार ने दो हजार रुपये के नोट को 30 सितंबर 2023 के बाद से चलने से बाहर करने का फैसला लिया है, लेकिन दो हजार के नोट उनके संग्रह की शोभा रहने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि उनके संग्रह में एक रुपया, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50, 100, 200, 1000, 2000 रुपये के प्रत्येक वर्ष के नोटों का संग्रह प्रत्येक गवर्नर के हस्ताक्षर सहित है। आर्काइव नोटों की कीमत कभी भी कम नहीं होती, बल्कि कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि 1938 में अंग्रेजी काल में 10 हजार रुपये का नोट चला था। इसे वर्ष 1946 में बंद कर दिया गया। खास बात यह है कि आज के समय में नोट की जगह नोट की गड्डी का संग्रह करने वाले बढ़ गए हैं। बातचीत