प्रेम की डोर से, मैंने बाँधा है तुझको,
तुझे राधा, कृष्णा कहते हैँ मुझको ।
प्रेमरस तेरा मेरा सम्मान है,
मैं कृष्णा चित्तचोर और प्रेम तू महान है।
इस जग को प्रेम ने बांधा, कराता नैया पार,
हे राधा तुझसे प्रेम है अपरम्पार ।
प्रेम अपने आप में एक पहचान है,
राधा कृष्णा प्रेम का ही तो नाम है।
प्रेम अपने आप में एक मर्यादा है,
हे राधा, तेरा बिना कृष्णा आधा है।
तेरा मेरा संबंध निराला,
तू राधा गोरी मैं कृष्णा ग्वाला।
प्रेम अपने आप में एक धर्म है,
प्रेम करना मेरा कर्म है।
प्रेम बिन मैं अधूरा , मुझ बिन संसार,
प्रेम ही पूजा है, प्रेम जीवन का आधार।