भगवद्गीता के चौथे अध्याय का अट्ठरहवाँ श्लोक कहता है कि जो मनुष्य कर्म में अकर्म और अकर्म में भी कर्म देखता है, वही बुद्धिमान योगी सभी कर्मों को करने वाला है। अब प्रश्न ये है कि अशुभ कर्म न करने में कर्म करना कैसे देखा जाए? गीतयन ।। गीतायन – https://amzn.to/3mp9zMZ https://www.facebook.com/anandydr https://twitter.com/anandydr https://www.instagram.com/anandydr/
