दिनांक 24 जुलाई 2025 को भारत एवं यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं यूके के प्रधानमंत्री श्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में सम्पन्न हो गया। यूके के यूरोपीयन यूनियन से अलग होने के बाद यूके का भारत के साथ यह द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता यूके के इतिहास में सबसे बड़ा द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता कहा जा रहा है। इस द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के सम्पन्न होने के बाद भारत एवं यूके के बीच विदेशी व्यापार में अतुलनीय वृद्धि की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। यूके ने हाल ही में अमेरिका के साथ भी एक व्यापार समझौता सम्पन्न किया है परंतु यूके के प्रधानमंत्री भारत के साथ संपन्न किए गए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को उससे भी बड़ी डील बता रहे हैं। अमेरिका एक ओर जहां विभिन्न देशों के साथ टैरिफ युद्ध की घोषणा कर रहा है एवं अन्य देशों से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भारी भरकम टैरिफ लगा रहा हैं वहीं भारत एवं यूके के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत टैरिफ की दरों को कम किया जाकर शून्य के स्तर पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अतः यह द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता विश्व के अन्य देशों के लिए एक बहुत बड़ी सीख है।
द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत सामान्यतः दो देशों के बीच होने वाले विदेशी व्यापार पर टैरिफ की दरों को कम किया जाता है अथवा शून्य के स्तर तक लाया जाता है ताकि इन दोनों देशों के बीच विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके। इसी सिद्धांत के अंतर्गत भारत को जिन क्षेत्रों में लाभ हो सकता है, इनमें फुटवीयर उद्योग, लेदर उद्योग, टेक्स्टायल उद्योग, इंजीनीयरिंग उद्योग एवं जेम्स एवं ज्वेलरी उद्योग शामिल हैं। इसी प्रकार यूके को जिन क्षेत्रों में लाभ हो सकता है, इनमे विस्की, कार, चोकलेट, बिस्किट, कासमेटिक, आदि उत्पाद निर्मित करने वाले उद्योग शामिल हैं। साथ ही, यूके को उम्मीद है कि भारत एवं यूके के बीच सम्पन्न हुए इस द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते से 800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश भारतीय कम्पनियों द्वारा यूके में किया जा सकता है। यह यूके के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यूके में रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे।
वर्तमान में भारत एवं यूके के बीच 56,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी व्यापार प्रतिवर्ष होता है। उक्त द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के सम्पन्न होने के बाद भारत एवं यूके के बीच 34,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष का विदेशी व्यापार बढ़ सकता है। वर्ष 2030 तक भारत एवं यूके के बीच विदेशी व्यापार को 120,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष के स्तर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद वर्ष 2040 तक दोनों देशों के बीच विदेशी व्यापार को 160,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक ले जाया जा सकेगा। भारत से यूके को निर्यात होने वाले लगभग 99 प्रतिशत पदार्थों पर यूके द्वारा टैरिफ की दर को शून्य किया जा रहा है। इसी प्रकार, भारत द्वारा भी यूके से आयात किए जाने वाले 64 प्रतिशत पदार्थों पर टैरिफ की दर को शून्य किया जा रहा है। वर्तमान में भारत में यूके से आयात होने वाले पदार्थों पर औसत टैरिफ दर 15 प्रतिशत है, इसे घटाकर 3 प्रतिशत किया जा रहा है। दोनों देशों द्वारा एक दूसरे से विभिन्न पदार्थों के होने वाले विदेशी व्यापार पर टैरिफ की दरें कम करने से दोनों देशों में एक दूसरे से आयात किया जाने वाले उत्पाद सस्ते हों जाएंगे। उत्पाद सस्ते होने से उनकी बाजार में मांग बढ़ेगी, इन उत्पादों की मांग बढ़ने से उनका उत्पादन बढ़ेगा जो अंततः रोजगार के नए अवसर निर्मित करेगा। अतः इस द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों को ही लाभ होने जा रहा है।
भारत के जेम्स एवं ज्वेलरी उद्योग से प्रतिवर्ष यूके को होने वाले निर्यात, आगामी दो वर्षों में दुगने होकर 250 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। टेक्स्टायल उद्योग के मामले में भारत के उत्पादों को वियतनाम एवं बांग्लादेश के साथ गला काट प्रतियोगिता का सामना करना पढ़ता है। परंतु, अब भारत के उत्पादों पर टैरिफ की दरें कम अथवा शून्य होने से भारत के उत्पाद यूके में प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे। यूके में कुल आयात होने वाले गारमेंट्स में भारत की हिस्सेदारी केवल 6 प्रतिशत है जो अब आगामी वर्षों में दुगनी होकर 12 प्रतिशत होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। भारत के इंजीनीयरिंग उद्योग को इस मुक्त व्यापार समझौते से अत्यधिक लाभ हो सकता है और भारत के इस क्षेत्र से यूके को निर्यात, वर्ष 2030 तक दुगने होकर 750 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंच जाने की सम्भावना है। समुद्रीय खाद्य उत्पाद के क्षेत्र में भी भारत से यूके को निर्यात जो अभी केवल 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के हैं, दुगने होकर 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर सकते हैं। अभी यूके में समुद्रीय खाद्य पदार्थों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी केवल 3 प्रतिशत की है। लेदर उद्योग से होने वाले भारत से आयात पर भी टैरिफ की दर को यूके में शून्य किया जा रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उक्त वर्णित समस्त क्षेत्र/उद्योग भारत में श्रम आधारित उद्योग हैं। अतः इन क्षेत्रों से निर्यात बढ़ने पर भारत में इन क्षेत्रों में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे। इन क्षेत्रों से होने वाले उत्पादों पर द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत यूके द्वारा टैरिफ की दर को शून्य करने पश्चात यूके में यह पदार्थ सस्ते होंगे इससे यूके में इन पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ेगी और भारतीय कम्पनियों के यूके को इन पदार्थों के निर्यात बढ़ेंगे। इससे भारतीय कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि करनी होगी, जिससे भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे।
भारत में यूके से आयात किए जाने वाले पदार्थ, जिन पर भारत द्वारा आयात कर में कमी की जाने वाली हैं, उनमें शामिल हैं – स्कॉच विस्की जिस पर टैरिफ की दरों को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत किया जा रहा है। यूके में निर्मित कारों के आयात पर अभी भारत द्वारा 110 प्रतिशत का टैरिफ लगाया जा रहा है, इसे घटाकर आगे आने वाले 5 वर्षों में 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इसी प्रकार ब्रिटेन में निर्मित चोकलेट, बिस्किट एवं कासमेटिक उत्पादों पर भी आयात करों में कमी होने से यह उत्पाद भारत में सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगे। भारत में कृषकों के हितों का ध्यान रखते हुए डेयरी, तेल एवं फलों आदि जैसे कृषि पदार्थों को इस मुक्त व्यापार समझौते से बाहर रखा गया है।
भारत से यूके को अभी 1450 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निर्यात प्रतिवर्ष होता है, यह यूके के कुल आयात का केवल 1.8 प्रतिशत है। इस प्रकार, अभी भारत से यूके को निर्यात बहुत कम मात्रा में होता है। वर्तमान में भारत द्वारा सबसे अधिक मात्रा में निर्यात, 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर का, पेट्रोलीयम उत्पादों का किया जा रहा है। फार्मा सेक्टर से अभी यूके को केवल 85 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया जा रहा है, जो यूके के कुल आयात का केवल 2.8 प्रतिशत है। इस प्रकार भारत को उक्त विभिन्न क्षेत्रों में यूके के रूप में एक बहुत बड़ा बाजार मिल रहा है। केमिकल, आयरन एवं स्टील, फूटवेयर, रबर, आदि भी ऐसे क्षेत्र/उद्योग हैं जिनसे भारत से यूके को बहुत कम मात्रा में निर्यात किया जाता है। भारत के लिए यह समस्त उद्योग अहम हैं क्योंकि इन क्षेत्रों/उद्योगों में रोजगार के अवसर निर्मित करने की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। यूके के कुल आयात में भारत का मार्केट शेयर बहुत कम है। भारतीय उद्योगों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा और भारत में निर्मित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना होगा ताकि इनके निर्यात को बढ़ाया जा सके।
अमेरिका के ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगातार विभिन्न देशों के साथ टैरिफ युद्ध की घोषणा के बीच विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, भारत एवं यूके ने आपस में द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को सम्पन्न कर पूरे विश्व को राह दिखाई है कि किस प्रकार एक दूसरे के हितों को ध्यान में रखकर विदेश व्यापार किया जा सकता है।