बिहार में चल रहे गहन पुनः निरीक्षण में चुनाव आयोग की कार्यशैली पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल। क्या करोड़ों वोटरों के नाम बिना वजह काटे जा रहे हैं? क्यों नहीं हुआ डॉक्युमेंट का ऑटो वेरिफिकेशन? क्या माइग्रेंट लोगों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जा रहा है?
इस वीडियो में शुभेंदु प्रकाश ने गहराई से बताया है कि चुनाव आयोग ने किन कारणों से लोगों की नागरिकता पर सीधा असर डाला है। जानिए किस तरह से सिस्टम की हड़बड़ी लोगों के अधिकार छीन रही है।
हड़बड़ी में गड़बड़ी हो जाती है । हम आज आपको बताएंगे कि भारत का चुनाव आयोग बिहार में जो गहन पुनः निरीक्षण कर रहा था या हुआ है उसमें सबसे बड़ी दिक्कत क्या है , आखिर क्यों हुई ये गड़बड़ी इन सबसे पहले चैनल को सब्सक्राइब करे और वीडियो को लाइक करे तो अब मुद्दे पर आते हैं , फॉर्म का जो फॉर्मेट है जिसके साथ डॉक्यूमेंट जमा होने थे न तो किसी भी फॉर्म पर डॉक्यूमेंट नंबर या आईडी नंबर लिखने का प्रावधान किया गया और न ही डॉक्यूमेंट कौन सा लगाया गया इसका कोई कॉलम बनाया गया । अब जब करोड़ों की संख्या में मतदाता है फिर इन डॉक्युमेंट्स की जांच मैनुअल लेवल पर करना क्या संभव है ? जवाब बिल्कुल नहीं , जिनके माता पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है क्या उनके बच्चों के लिए कोई कॉलम दिया गया की मेरे मां बाप का नाम 2003 के मतदाता सूची में है । बिल्कुल भी नहीं है फिर आयोग क्या ये भी मैनुअल लेवल पर कर रहा है ? और कर रहा है तो क्या ये संभव है ? अगर आयोग डॉक्यूमेंट को कंप्यूटर से लिंक करके संबंधित जारी करने वाले संस्थान से ऑटो वेरिफाई करवा लेता मसलन किसी ने अपने मैट्रिकुलेशन का दस्तावेज आयोग को दिया तो आयोग संबंधित बोर्ड से इसका ऑटो सत्यापन कर सकता है बर्थ सर्टिफिकेट या फिर कोई भी सरकारी आईडी को भी ऑटो वेरिफाई किया जा सकता था मगर आयोग हड़बड़ाहट में दिखा. अब हड़बड़ी में जब कॉलम ही नहीं बन सका फॉर्म में, फिर ये सब करना कैसे संभव होगा ? पैसठ लाख मतदाता के नाम आयोग मृत या हस्तांतरित या फिर मल्टीपल नामांकन के नाम पर पहले ही काट चुका है अभी जो 1 अगस्त को चुनाव आयोग के द्वारा जो सूची आई है उसमें भी blo के द्वार नोट रिकॉमेडेड कई सारे फॉर्म में लिखा है , चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जब मैने कुछ लोगों का एपिक नंबर डालकर चेक किया तो पाया कि लगभग सभी फॉर्म में लिखा आ रहा है कि डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए अपने blo से संपर्क करे , जिस मतदाता का नाम 2003 के वोटर लिस्ट में उपलब्ध है उसका भी एपिक नंबर डालने पर साइट कह रहा है कि डॉक्युमेंट blo को जमा करे जबकि आयोग यह पहले ही साफ कर चुका है कि जिनका नाम 2003 के वोटर लिस्ट में है उनसे कोई डॉक्यूमेंट नहीं लिया जाएगा साथ ही उनके बच्चों को भी अपने माता पिता का प्रूफ नहीं देना है , मैने अपना फॉर्म खुद से भड़ा था मैट्रिकुलेशन का दस्तावेज भी आयोग को दिया था मगर मेरे भी फॉर्म में यही आ रहा है कि दस्तावेज जमा करने के लिए blo से संपर्क करें मतलब सब धन बाइस पसेरी है । विस्थापित लोगों का नाम आयोग को क्यों नहीं काटना चाहिए वो मेरा पिछला वीडियो जो sir पर बनाया था वो देख ले, कहने को हम डिजिटल इंडिया में जी रहें हैं मगर आयोग आज भी मैन्युअल काम ही कर रहा है जब फॉर्म जमा हो रहें थे उस समय भी आयोग ने देरी से ऑनलाइन फॉर्म भड्ने का विकल्प दिया जो की सिर्फ खाना पूर्ति था डॉक्यूमेंट ऑनलाइन सबमिट करने के वावजूद भी हमें फिर से blo को पुनः डॉक्यूमेंट देने पर रहें हैं . …………………………………………….
जरूर देखें और अपने अधिकार को समझें।
👉 पुराने वीडियो यहाँ देखें: https://youtu.be/APrAvpzY9kg
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Bahot badhya jankari apne diya hai