मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायिक कर्मचारियों की आवश्यकताओं को लेकर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय ले। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों की भारी कमी के कारण न्यायिक कार्यों में गंभीर बाधा आ रही है।
हाईकोर्ट दिसंबर 2024 से इस मामले में सुओ मोटो (स्वतः संज्ञान) लेकर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस गडकरी और कमल खता की डिवीजन बेंच ने 21 फरवरी, 2025 को इस मामले की तात्कालिकता पर जोर देते हुए कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण न्यायाधीशों को स्कैन की गई याचिका प्रतियां समय पर नहीं मिलती हैं, जिससे मामलों की सुनवाई प्रभावित हो रही है।
फाइलें गायब, स्कैनिंग धीमी, कोर्ट का काम बाधित
न्यायमूर्ति गडकरी ने अदालत की स्थिति का हवाला देते हुए कहा,
“अगर 50 मामले सूचीबद्ध हैं, तो केवल 10 मामलों की स्कैन की गई प्रतियां न्यायाधीशों तक पहुंच पाती हैं। बाकी फाइलें बेंच तक पहुंच ही नहीं पातीं, क्योंकि तकनीकी कर्मचारी दावा करते हैं कि स्कैनर कार्यशील नहीं हैं।”
बेंच ने कहा कि सिर्फ नए कर्मचारियों की भर्ती करना समाधान नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे तकनीकी रूप से दक्ष हों, ताकि न्यायिक आवश्यकताओं को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके।
1,254 कर्मचारियों की कमी, कोर्ट के कामकाज पर असर
हाईकोर्ट के प्रोथोनोटरी और सीनियर मास्टर द्वारा 14 दिसंबर, 2024 को पेश की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 1,254 कर्मचारियों की कमी है। अदालत की रजिस्ट्री का प्रतिनिधित्व कर रहे पी.एम. पालशिकर और आदित्य उदशी ने बेंच को सूचित किया कि दिसंबर 2024 में ही राज्य सरकार को न्यायालय की आवश्यकताओं को लेकर प्रस्ताव भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
कर्मचारियों की कमी से कोर्ट का डिजिटल सिस्टम प्रभावित
बेंच ने कहा कि डिजिटल होते न्यायालयों के बावजूद संसाधनों की भारी कमी बनी हुई है। आदेश में कहा गया,
“अब अदालतें डिजिटल हो रही हैं, लेकिन न पर्याप्त स्कैनिंग और प्रिंटिंग मशीनें हैं, न ही काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी। इससे ई-फाइलिंग सिस्टम पर मामलों को अपलोड करने में देरी होती है। पहले से ही ओवरबर्डन स्टाफ को अतिरिक्त काम करना पड़ रहा है, जिससे उनके कार्य घंटे बढ़ रहे हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण मुकदमों की छंटाई और फ़िल्टरिंग में कठिनाई हो रही है, जिससे बोर्ड की तैयारी प्रभावित होती है और मामले अदालत में सही समय पर नहीं पहुंच पा रहे।
फाइलों की गड़बड़ी से न्याय प्रक्रिया प्रभावित
कोर्ट ने दस्तावेजों की उचित रिकॉर्डिंग और फाइलिंग में हो रही समस्याओं को लेकर भी चिंता जताई।
“कई बार फाइलें गुम हो जाती हैं या उचित रूप से व्यवस्थित नहीं की जातीं। महत्वपूर्ण दस्तावेज समय पर नहीं मिलते, जिससे न्यायिक कार्य प्रभावित होता है।”
बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस संकट का समाधान निकाले, ताकि अदालत का कार्य बाधित न हो और न्यायिक प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चलती रहें।