भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडीके आंकड़ों का डाउन टू अर्थ ने विश्लेषण किया है। इन आंकड़ों के अनुसार, 2022 की शुरुआती हीट वेव 11 मार्च को शुरू हुई थी, जिसने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (24 अप्रैल तक) को प्रभावित किया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस अवधि के दौरान, इन राज्यों में हीट वेव के 25 दिन (भीषण गर्मी की लहर / लू) सबसे बुरे रहे।

आईएमडी का कहना है कि हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियसतटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। जब किसी जगह पर किसी ख़ास दिन उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया जाता हैतो मौसम एजेंसी हीट वेव की घोषणा करती है। यदि तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस  अधिक हैतो आईएमडी इसे गंभीर‘ हीट वेव घोषित करता है।

आईएमडी हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है, जो पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। यदि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता हैतो विभाग हीट वेव घोषित करता है। जब यह 47 डिग्री को पार करता हैतो गंभीर‘ हीट वेव की घोषणा की जाती है।

आश्चर्यजनक रूप सेराजस्थान और मध्य प्रदेश के बादहिमाचल प्रदेश जैसा पर्वतीय राज्य इस वर्ष हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां हीट वेव और गंभीर हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए गए। आईएमडी के आंकड़ों में एक विवादित बिंदु भी है। मौसम एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर ओडिशा के लिए केवल एक हीट वेव दिवस घोषित किया हैजबकि डाउन टू अर्थ ने हाल ही में 24 अप्रैल को राज्य भर में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किए जाने और अप्रैल की शुरुआत से ही लगातार बढ़ते तापमान की सूचना दी है।

 

 

                       टेबल: 11 मार्च से 24 अप्रैल के बीच, राज्यवार हीट वेव दिवस

राज्य हीट वेव दिवस की संख्या
गुजरात

19

गोवा

2

राजस्थान

25

हिमचल प्रदेश

21

उत्तराखंड

4

महाराष्ट्र

6

मध्य प्रदेश 

25

ओडिशा

1

जम्मू और कश्मीर

16

हरियाणा

15

दिल्ली एनसीआर

15

उत्तर प्रदेश

11

झारखंड 

11

बिहार

2

पंजाब

7

कोट्टायम स्थित इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डी शिवानंद पाई का कहना है कि मार्च में राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में एंटी-साइक्लोन और बारिश वाले पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति शुरुआती हीट वेव के कारण रहे। वायुमंडल में उच्च दबाव प्रणाली के आसपास तापमान बढाने वाली हवाओं के होने से, एंटी-साइक्लोन गर्म और शुष्क मौसम का कारण बनते हैं।

 

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के एक क्लाइमेट साइंटिस्ट रघु मुर्तुगुड्डे बताते हैं कि पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में ला नीना से जुड़ा एक नार्थ-साउथ प्रेशर पैटर्न, जो भारत में सर्दियों के दौरान होता हैउम्मीद से अधिक समय तक बना रहा। इसने तेजी से गर्म हो रहे आर्कटिक क्षेत्र से आने वाली गर्म लहरों के साथ मिल कर हीट वेव का निर्माण किया। पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान ला नीना के दौरान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। यह हवा के दबाव में परिवर्तन के माध्यम से समुद्र की सतह पर बहने वाली व्यापारिक हवाओं को प्रभावित करता है। ये व्यापारिक हवाएं इस मौसम की गड़बड़ी को अपने साथ ढो कर ले जाती है और दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। भारत मेंयह घटना ज्यादातर नम सर्दियों से जुड़ी है। इसलिएभारत में वसंत और गर्मी के दौरान ला नीना का वर्तमान प्रभाव पूरी तरह से अप्रत्याशित है। मुर्तुगुड्डे कहते हैं कि हीट वेव जून में मानसून के शुरू होने तक जारी रह सकती हैं।

 

हमारे पास दुनिया भर में हीट वेव्स के वैश्विक प्रमाण क्या हैं?

छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की पहली किस्त मेंआईपीसीसी ने जोर देकर कहा कि मानव इतिहास में, मानवीय गतिविधियों ने ग्रह को उस तेजी से गर्म किया है, जिसे अब से पहले कभी नहीं देखा गया है। 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में, पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो गया है। मानव हस्तक्षेप इस स्थिति का मुख्य कारण है (जो 1950 के दशक से लगातार तेज हुआ है)। जलवायु मॉडल और विश्लेषण में सुधार ने वैज्ञानिकों को वर्षातापमान और अन्य कारकों के रिकॉर्ड देखकर जलवायु परिवर्तन पर मानव प्रभाव की पहचान करने में सक्षम बनाया है। पिछले दो दशकों मेंवैज्ञानिकों ने ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेवार मानवजनित जीएचजी उत्सर्जन की भूमिका का विश्लेषण करते हुए 350 से अधिक साइंटिफिक पेपर और असेसमेंट प्रकाशित किए हैं।

आईपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हर अतिरिक्त 0.5 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक वर्षा और सूखे के साथ-साथ गर्म मौसम को बढ़ाएगी। यदि कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है तो भारत में हीट वेव्स के “2036-2065 तक 25 गुना अधिक समय तक” रहने की संभावना है। यह सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करेगा, जैसा कि 28 अक्टूबर2021 को प्रकाशित एक इंटरनेशनल क्लाइमेट रिपोर्ट (जी-20 देशों को कवर करते हुए) में कहा गया है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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