FULL CAMPARISION Of ICSE, CBSE AND STATE BAORD BY ANAND KUMAR
नमस्कार आज हम लोग बात कर रहे हैं स्कूल की और बोर्ड की बोर्ड बोले तो वह बोर्ड जिससे आप पढ़ाई करते हैं जैसे की स्टेट बोर्ड सीबीएसई बोर्ड या फिर इससे बोर्ड आमतौर पर इन्हें इन्हीं नाम से जाना जाता है हालांकि जो कागजों पर नाम होते हैं वो थोड़े अलग होते हैं या हो सकते हैं लेकिन जब आप पूछताज करने जाएंगे तो इन्हीं नाम से इन बोर्ड्स का जिक्र होता है और इनकी चर्चा जरूरी क्यों हो जाति है जरूरी इसलिए हो जाति है क्योंकि अब जब स्कूल में ऐडमिशन का समय नजदीक ए गया है स्कूल में ऐडमिशन की बात शुरू हो गई है तो कई बार मां-बाप जो पहले बार अपने बच्चों को स्कूल में भारती कर रहे हैं या फिर कभी-कभी प्राथमिक और माध्यमिक से हाय स्कूल यानी सेकेंडरी स्कूल में अगर आप अपने बच्चों को ले जा रहे हैं उसे वक्त कौन सा बोर्ड चुने कौन सा पाठ्यक्रम चैन यह महत्वपूर्ण हो जाता है तो हम लोग जो फोर्स की बात कर रहे हैं उन तीन बोर्ड्स में से हमारी चर्चा का सबसे पहले बोर्ड है स्टेट बोर्ड स्टेट बोर्ड यानी राज्य सरकार जो बोर्ड चला रही होती है राजस्त राज्य सरकार जो पाठ्यक्रम चला रही होती है उसे पाठ्यक्रम में क्या पटाया जाता है कैसे पटाया जाता है उसकी बात हम लोग कर लेते हैं तो यहां जो फायदे और नुकसान होते हैं उनकी अगर बात की जाए तो सबसे पहले हम लोग फायदे की बात करते हैं फायदा ये होता है की स्टेट बोर्ड के स्कूल जो होते हैं वो काफी हद तक मुफ्त होते हैं काफी हद तक मुफ्त हम क्यों का रहे हैं क्योंकि एक्चुअली अगर आप देखें प्रैक्टिकल जैमिनी स्टार पर क्या होता है तो वहां आप पाएंगे की स्टेट बोर्ड के जो स्कूल होते हैं वो मिड दे मिल फ्री में दे रहे होते हैं यानी दोपहर का खाना बच्चों को मुफ्त मिल रहा होता है इसके अलावा कई राज्यों में साइकिल मिल रही होती है पोशाके मिल रही होती है यानी यूनिफॉर्म मिल रहे होते हैं किताबें जो होती है वो भी कई बार बच्चों को मुफ्त में ही मिलती है खरीदी नहीं पड़ती तो ज्यादातर शिक्षा जो होती है स वो मुफ्त नहीं होती अल में उसके लिए सरकार लोगों को पैसे दे रही होती है तो मुफ्त कहना बहुत हद तक सही नहीं होगा बल्कि इस शिक्षा के लिए बच्चों को ऊपर से अलग से पैसे मिलते हैं स्टेट बोर्ड के स्कूल में आप अपने बच्चों की अगर पढ़ाई करवा रहे हैं तो कई राज्यों में आप पाएंगे की लड़कियों के लिए कई योजनाएं सरकार ने लागू कर राखी हैं जैसे की 10वीं के बाद कुछ लड़कियों को कुछ छात्रवृत्ति मिलती है 12वीं की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिलती है अगर आप शेड्यूल कास्ट या शेड्यूल ट्राइब जैसी कम्युनिटी से हैं तो आपके लिए हॉस्टल की सुविधा हॉस्टल के अलावा और छात्रवृत्ति की सुविधा ये सब भी उपलब्ध करवाई जा रही हो ऐसा राज्य सरकार की और से प्रबंध हो सकता है तो मुफ्ती नहीं यह शिक्षा काफी हद तक आपको और ज्यादा मदद भी करती है इसके अलावा जो एक और फायदा होता है एक और फायदा होता है आपको स्टेट बोर्ड से अगर आपने पढ़ाई की है तो उसे राज्य के अंदर जो कॉलेज है वहां पर आपको थोड़ा सा आरक्षण मिल जाता है,
स्कूल से निकालकर कॉलेज में भारती के लिए जाते हैं और कॉलेज में भारती के लिए अप्लाई करते हैं तो जी राज्य का कॉलेज है वो अपने राज्य के छात्रों को यानी अपने स्टेट के बोर्ड को थोड़ी सी वरीयता देता है। कुछ 5% या कुछ 10% मार्क्स उनके बड़ा दिए जाते हैं या ऐसा ही कुछ समझ लीजिए। कुछ इसी तरीके से थोड़ी सी बेहतर सुविधा देकर कोशिश की जाति है।
हमारे राज्य के जो छात्र थे हमारे स्टेट बोर्ड के जो छात्र थे उन्हें हमारे ही स्टेट के हमारे ही राज्य के कॉलेज में दाखिला आसानी से मिल सके ये प्रबंध किया जाता है तो ये साड़ी सुविधा जो होती है ये आपको स्टेट बोर्ड में होने पर आसानी से उपलब्ध हो जाति है अब जो दूसरी बड़ी आई है यानी दूसरी सुविधा की बड़ी आई है वो सुविधा होती है आपको स्टेट बोर्ड के स्कूल को खोजना नहीं पड़ता स्टेट बोर्ड के स्कूल गिनती
में बहुत ज्यादा होते हैं एक-एक राज्य में हजारो की संख्या में होते हैं तो स्टेट बोर्ड का स्कूल
जो होगा वो आपके घर से बिल्कुल पास होगा घर से दूरी
बहुत ज्यादा नहीं होगी बच्चे को स्कूल पहुंचाना या
वहां से लाना जो होगा वो कोई बहुत झंझट का या बहुत
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मेहनत का कम नहीं होगा तो यह साड़ी सुविधा आपको
स्टेट बोर्ड में मिलेगी अब आते हैं नुकसान की तरफ
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तो नुकसान में सबसे बड़ा नुकसान होता है क्वालिटी
ऑफ एजुकेशन जो शिक्षकों की गुणवत्ता है मतलब शिक्षक
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कितना अच्छा पढ़ते हैं कक्षाओं पर कितना ध्यान देते
हैं बच्चों पर कितना ध्यान देते हैं ये कभी-कभी
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सवालों के घेर में राहत है इसके अलावा जो किताबें
की उपलब्धता होती है किताबें स्कूल जो की मुफ्त में
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उपलब्ध करवा रहा होता है और सरकारी व्यवस्था होती है
तो कई बार समय से टाइम पर मतलब लेट से पर एग्जांपल
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की दिसंबर में परीक्षाएं हैं और किताबें आपको मिली
अगस्त के महीने में तो भाई आपका जनवरी से लेकर के
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अगर तट का समय शुरुआत के जो 6 महीने 7 महीने का समय
था वो तो ऐसे ही चला गया ना तो बच्चा पढ़ाई कम कर
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पाया तो बहुत अच्छा होगा वह पढ़ाई में इसकी संभावना
किन वजहों से थोड़ी सी सवालों के डेयर में ए जाति है
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अब हम लोग चलते हैं स्टेट बोर्ड से आगे की तरफ स्टेट
बोर्ड से आगे यानी दूसरा बोर्ड सीबीएसई बोर्ड होता
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है सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों की गिनती भी अच्छी खासी
है करीब-करीब भारत में 15000 सीबीएसई के स्कूल है
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आखिरी बार गिनती 148008 बताइए गई थी लेकिन मां के
चलते हैं की अभी 15000 स्कूल सीबीएसई बोर्ड के भारत
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में होंगे और आसानी से आपको सीबीएसई बोर्ड के स्कूल
मिल सकते हैं सीबीएसई बोर्ड के स्कूल में फायदे के
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नाम पर आपको तो पता ही है की इसका सिलेबस जो होता है
इसका जो पाठ्यक्रम होता है 10वीं का हो चाहे 12वी का
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हो तो वहां तक का पाठ्यक्रम अगर आप देखेंगे तो कई
बार यही पाठ्यक्रम प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी
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इस्तेमाल होता है अगर आप इस की तैयारी करने वालों की
को देखेंगे तो आप पाएंगे की वह अक्सर छठी से लेकर के
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10वीं तक की जो हिस्ट्री सिविक्स ज्योग्राफी जैसे
विषयों की किताबें होती हैं वो पढ़ रहे होते हैं
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कई बार 11वीं 12वीं की जो किताबें होती है वह पढ़
रहे होते हैं तो सिलेबस चूंकि एक ही होता है इसीलिए
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पुरानी किताबें से उन बच्चों की किताबें से वो लोग
रेफर कर रहे होते हैं पढ़ाई कर रहे होते हैं लेकिन
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अब हम लोग अगर इसके खराबियों की तरफ भी एक बार नजर
दाल लेने तो आपको पता होगा की खराबी एक खराबी तो
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ये होती है की यह सिलेबस तो उतना ही होता है लेकिन
जो वस्तनेस ऑफ सिलेबस होती है यानी उसे पाठ्यक्रम
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का जो फैलाव होता है वो कई बार बहुत ज्यादा होता है
तो जब आप प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए जाते भी हैं
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तो जिन किताबें से आपने स्कूल में पढ़ाई की थी उनसे
ही आपका कम चल जाएगा ऐसा नहीं होता आपको एक्स्ट्रा
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कुछ किताबें लेनी पड़ती है एक्स्ट्रा अलग से बाहर
से पढ़ाई करनी पड़ती है शिक्षकों की गुणवत्ता की
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बात करें तो सीबीएसई के स्कूलों में शिक्षक अच्छी
क्वालिटी के होते हैं यह नुकसान यह है की यह स्टेट
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बोर्ड का नहीं होता इनका अपना अलग बोर्ड होता है तो
इनकी फीस कभी-कभी ज्यादा हो शक्ति है सेंट्रल बोर्ड
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और दूसरे कई विद्यालय ऐसे होते हैं सेंट्रल स्कूल
के जो विद्यालय होते हैं उनमें फीस आपको पता है
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की बहुत कम होती है लेकिन वहां पे आपको पता है की
जो सरकारी नौकरी कर रहे हैं लोग होते हैं सेंट्रल
0:07:37.440,0:07:44.700
स्कूल उन बच्चों को वरीयता देता है जिनके माता पिता
केंद्र सरकार की नौकरी कर रहे हो और बार-बार एक जगह
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से दूसरी जगह उनका ट्रांसफर होता राहत हो तो स्टेट
बोर्ड में जो एक नुकसान होता है वो ये भी होता है
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की स्टेट बोर्ड अगर होगा तबादला आप नौकरी के लिए
आपने कम के सिलसिले में एक राज्य से बाहर किसी
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दूसरे राज्य में चले जाते हैं तो अब तक बच्चा किसी
एक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहा था और दूसरे राज्य में
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चले जान पर वो किसी दूसरे पाठ्यक्रम में चला जाता है
जिससे एडमिशन लेने में भी मुश्किल आई है और बच्चे को
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पढ़ाई में भी मुश्किल आई है सीबीएसई के स्कूलों में
काफी हद तक यह समस्या सॉल्व हो जाति है लेट से पर
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एग्जांपल आप दिल्ली में थे दिल्ली में नौकरी कर रहे
थे वहां आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा था और दिल्ली से
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शिफ्ट करके आपको अचानक बेंगलुरु जाना पद गया या फिर
मां लेते हैं की आप बेंगलुरु में नौकरी कर रहे थे
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कम कर रहे थे और वहीं आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा था और
वहां से आपको अचानक पुणे जाना पद गया तो आपको स्कूल
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ढूंढने में उतनी ज्यादा परेशानी नहीं होगी हालांकि
बच्चों के लिए एक अच्छा ढंग का स्कूल ढूंढना भारत
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में एक बड़ी समस्या है लेकिन कंपेरटिवली तुलनात्मक
रूप से थोड़ी कम दिक्कत होगी यह चीज आप समझ सकते हैं
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इससे बोर्ड के स्कूलों की इससे बोर्ड के स्कूल
जो होते हैं वो गिनती में बहुत कम है भारत में
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जो की इससे बोर्ड की पढ़ाई करवाते हैं और इनकी
स्कूलों में आप जब भारती करवाते हैं अपने बच्चों
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को तो सबसे बड़ी दिक्कत जो होगी वो यही दिक्कत
होगी की एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर होने पर
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जो अभी अभी हम लोगों ने सीबीएसई स्कूलों के बड़े
में बात की थी उनमें अगर आप एक जगह से दूसरी जगह
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ट्रांसफर लेते हैं एक जगह से दूसरी जगह आपका
तबादला हो जाता है तो सुविधा होती है थोड़ी
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सिलेबस वगैरा में स्कूल को ढूंढने में लेकिन इससे
के स्कूलों में ऐसा नहीं होगा स्कूल गिनती में कम है
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इसीलिए आपको स्कूल ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो सकता है
जो दूसरी बड़ी समस्या आई है वो होती है किताबें की
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किताबें की जो कीमत होती है उनकी अगर हम लोग तुलना
करें तो स्टेट बोर्ड की किताबें बहुत सस्ती होती है
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सीबीएसई की किताबें उसकी तुलना में थोड़ी सी महंगी
होती है और इससे की किताबें काफी ज्यादा महंगी होती
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है तो इससे बोर्ड से अगर आप अपने बच्चे की बच्चों की
पढ़ाई करवाना छह रहे हैं तो आप इस चीज के लिए मानसिक
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रूप से तैयार रहिए की ये पढ़ाई सस्ती नहीं होगी
काफी खर्चीला साबित हो सकता है किताबें को खरीदना
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यहां पर एक और चीज जो ध्यान देने लायक है वह यह
है की स्पीड बोर्ड की किताबें जो होती है उनकी
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प्रिंटिंग की क्वालिटी वगैरा अगर आप देखेंगे
तो वो बहुत लो क्वालिटी होती है थोड़ा सस्ता
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सा आपको दिखेगा बहुत ज्यादा उसे पर नजर राखी
गई हो उसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी हो प्रिंटिंग
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मिस्टेक ना हो स्पेलिंग मिस्टेक्स वगैरा ना
हो इनके चांसेस थोड़े कम होते हैं सीबीएसई की
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किताबें जो होती है वो एनसीईआरटी की किताबें होती
है एनसीआरटी की कीमत जो होती है किताबें की कीमत वह
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ठीक-ठाक होती है मतलब बहुत महंगी नहीं होती और
किताबें की गिनती भी जो होती है वो आसानी से
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उपलब्ध हो जाति है जो आपके बच्चे के सिलेबस में
मां लीजिए अगर साथ या आठ किताबें ठीक इसी साल
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तो वो साथ के आठ किताबें आपको थोड़े मेहनत से
आसपास की दुकानों में या फिर ऑनलाइन मिल जाएगी
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इससे की किताबें गिनती में काफी ज्यादा होती हैं और
प्रिंटिंग की क्वालिटी देखें तो महंगी किताबें हैं
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तो जाहिर सी बात है की प्रिंटिंग की क्वालिटी भी
थोड़ी बेहतर होती है लेकिन इन्हें ढूंढना बहुत ही
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मुश्किल कम साबित हो सकता है और कई बार ऐसा हो सकता
है की आप ये पाएं की आठ किताबें या 10 किताबें अगर
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सिलेबस में थी तो आपको छह किताबें मिल गई या आठ
किताबें मिल गई बाकी की बच्ची हुई दो किताबें या
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तीन किताबें आप बहुत मुश्किल से ढूंढ का रहे हैं
या पूरे शहर का चक्कर लगाना पद रहा है तब कहानी
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जाकर के आपको किताबें उपलब्ध हो का रही हैं ऐसा ही
ट्यूशन के मामले में भी होगा ट्यूशन के मामले में
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आप पाएंगे की स्टेट बोर्ड में ट्यूशन पढ़ना वाला कोई
शिक्षक खोजना थोड़ा सा मुश्किल होता है स्टेट बोर्ड
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के शिक्षकों की गिनती तो बहुत ज्यादा है लेकिन स्टेट
बोर्ड के जो शिक्षक होते हैं वो अपने खुद के निजी कम
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में ही इतने व्यस्त होते हैं की वह अलग से ट्यूशन
पढ़ा रहे हो इसकी संभावना बहुत कम होती है प्लस
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स्टेट बोर्ड के स्कूल में जो बच्चे पढ़ रहे होते
हैं अक्सर वो बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं जिनकी
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आर्थिक क्षमता जो होती है वो बच्चों को ट्यूशन के
लिए भेजना की ना हो इसकी संभावना रहती है तो बहुत
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सारे शिक्षक जो होते हैं जो सिर्फ प्राइवेट ट्यूशन
देते हैं और उससे उनका जीविका उनका रोजगार चला है
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ऐसे शिक्षक स्टेट बोर्ड के बच्चों को पढ़ना में
उतनी ज्यादा रुचि लेते हुए दिखे ऐसा जरूरी नहीं
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है तो स्टेट बोर्ड के स्कूलों के लिए आप ट्यूशन
टीचर दे ढूंढ पाएं ये थोड़ा सा मुश्किल हो जाएगा
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सीबीएसई के लिए आपको ट्यूशन टीचर्स बहुत आसानी
से मिल जाएंगे क्योंकि अधिकतर लोगों ने खुद भी
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सीबीएसई से पढ़ाई की होती है और उसके बाद आगे
वो सीबीएसई के बच्चों के लिए ट्यूशन सेंटर्स
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अलग से चला रहे होते हैं और ये बिल्कुल अलग से एक
रोजगार का जरिया भी उनका हो सकता है इसलिए उन्हें
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कोई दिक्कत नहीं होती तो सीबीएसई के लिए ट्यूशन
टीचर आपको आसानी से मिल जाएंगे आईसीसी के स्कूल
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चुकी गिनती में कम होते हैं तो उतने स्टूडेंट एस
किसी टीचर के पास जूते एक ट्यूशन टीचर आपको बहुत
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आसानी से मिल जाए इसकी संभावना थोड़ी कम रहती है तो
ट्यूशन टीचर के मामले में भी सबसे बेहतर पोजीशन पर
0:13:13.320,0:13:20.880
आपको सीबीएसई दिखेगी इससे उसके बाद सेकंड नंबर पर आई
है और सबसे पिछले नंबर पर आपका स्टेट बोर्ड आता है
0:13:22.320,0:13:28.440
इससे थोड़ा सा और आगे बढ़ते हैं और आगे हम लोग
यहां देख सकते हैं की जो तुलना आप करेंगे स्टेट
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बोर्ड सीबीएसई बोर्ड और इससे बोर्ड की और इनमें आप
सिलेबस देखेंगे की पाठ्यक्रम क्या था जिसे पढ़ना
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था या जिसे पटना था तो जो आपका स्टेट बोर्ड होता है
ये सबसे पुराने सिलेबस को इस्तेमाल करता है ये इतने
0:13:44.520,0:13:51.060
पुराने सिलेबस को इस्तेमाल कर रहा होता है जो काफी
पहले बादल चुका मतलब आज की दुनिया में उसे सिलेबस
0:13:51.060,0:14:00.180
की कोई उपयोगिता है या नहीं है यह कई बार सवालों के
विधायक ये कई बार सवालों के घेर में ए सकता है इसकी
0:14:00.180,0:14:06.420
तुलना में सीबीएसई को अगर आप देखेंगे तो सीबीएसई
काफी तेजी से अपने पाठ्यक्रम को बदलते रहा है अभी
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हाल फिलहाल के कुछ वर्षों में देखें तो काफी तेजी
से बदलाव आए हैं नई शिक्षा नीति क्या जान के बाद से
0:14:12.360,0:14:20.580
बदलाव और भी तेज हुए हैं और काफी नया जो सिलेबस होता
है काफी नई चीज जो सिलेबस में शामिल हनी चाहिए इन
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चीजों की पढ़ाई करवाई जाति है पाठ्यक्रम के हिसाब से
इससे का पाठ्यक्रम सबसे वाष्प होता है ये पाठ्यक्रम
0:14:28.140,0:14:36.120
बहुत बड़ा होता है यह कोई छोटा पाठ्यक्रम नहीं होता
सीबीएसई या स्टेट बोर्ड की तरह कम किताब में पढ़ के
0:14:36.120,0:14:42.360
आपका कम नहीं चल सकता अगर आपको अंदाज़ लगाना है की
कितना पढ़ना पड़ता है इसमें तो आप इसका अंदाज़ ऐसे
0:14:42.360,0:14:49.560
लगाइए की अगर मां लेते हैं हम लोग की सिर्फ अंग्रेजी
की बात करें सिर्फ इंग्लिश की बात करें तो इससे
0:14:49.560,0:14:56.760
स्कूल में जो बच्चा पढ़ रहा होगा वो आठवीं से लेकर
10वीं कक्षा के बीच शेक्सपियर के एकड़ नवल पढ़ चुका
0:14:56.760,0:15:04.920
होगा आपने सिलेबस में कुछ और बड़े अंग्रेजी के लेखन
के नोबेल उसके सिलेबस में हो इसकी संभावना है इसके
0:15:04.920,0:15:11.880
अलावा एक कविताओं की किताब उसने पढ़ राखी होगी और
एक कहानियां की शॉर्ट स्टोरी की किताब उसने पढ़ राखी
0:15:11.880,0:15:18.600
होगी ये जो कविताओं की किताब और कहानियां की किताब
होती है ये करीब-करीब हर सिलेबस में होती है आप
0:15:18.600,0:15:24.360
सीबीएसई में जाएंगे तो भी आपको एक कहानियां की किताब
पढ़नी पड़ेगी और एक कविताओं की किताब पढ़नी पड़ेगी
0:15:24.360,0:15:32.640
जिसमें कुछ चुनिंदा कहानी और कुछ चुन्नी हुई कविताएं
होती हैं लेकिन अगर आप इससे बोर्ड में हैं तो आपको
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इस कहानी और कविता वाली जो दो किताबें हैं इनके
अलावा एक दो नोबेल शेक्सपियर जैसे लोगों के पढ़ने
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पढ़ेंगे नाटक अल में एक दो नाटक शेक्सपियर जैसे लेख
होंगे पढ़ने पढ़ेंगे और एक-दो नोबेल होंगे उपन्यास
0:15:46.920,0:15:52.800
पूरे पूरे उपन्यास होंगे जिनका या तो एवरेज फॉर्म
दिया जाता है या फिर क्रिटिकल एडिशन दिया जाता है
0:15:52.800,0:16:00.960
जिसे आपको पढ़ना पड़ेगा तो बाकी जगह पर इतना ज्यादा
दबाव नहीं होता यहां पर यह दबाव होता है इसके अलावा
0:16:00.960,0:16:08.040
इंग्लिश में ही एक और पेपर के तोर पर आपको ग्रामर
पढ़ना पड़ेगा ऐसे राइटिंग पढ़ना पड़ेगा फिर आपको
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लेटर राइटिंग और ग्रामर के जो फिल्म इन डी ब्लैंक
और ऐसे किम के ट्रू जल वाले क्वेश्चंस होते हैं
0:16:15.540,0:16:21.780
उनको सॉल्व करने वाला जो क्षेत्र होता है यह क्षेत्र
भी होता है तो मतलब इंग्लिश कम में सिर्फ अगर यहां
0:16:21.780,0:16:28.740
पर सिलेबस जो देखा है उससे आप अंदाज़ लगा सकते हैं
की कितना वत सिलेबस इससे बोर्ड में पढ़ना पड़ेगा तो
0:16:28.740,0:16:35.640
इससे बोर्ड में अगर आप अपने बच्चे को दाल रहे हैं
तो छठी कक्षा के आसपास आपको करीब-करीब हर दिन अपने
0:16:35.640,0:16:42.060
बच्चे के साथ बैठकर ये देखना पड़ेगा की वो क्या
पढ़ाई कर रहा है या क्या पढ़ाई कर रही है अगर आप
0:16:42.060,0:16:48.120
यह नहीं करेंगे और यह अपेक्षा रखेंगे की बच्चा बड़े
अच्छे नंबरों से पास कर जाएगा तो इसकी संभावना थोड़ी
0:16:48.120,0:16:56.220
कम हो जाति है तो इन चीजों के बाद अब आप अंदाज़
लगाइए सबसे पहले तो फीस के मामले में फीस के मामले
0:16:56.220,0:17:03.000
में स्टेट बोर्ड मुफ्त होता है थोड़ी सी ज्यादा फीस
सीबीएसई की होती है और बहुत ज्यादा फीस आईसीसी बोर्ड
0:17:03.000,0:17:09.420
के स्कूलों की होती है ड्रेस और यूनिफॉर्म वगैरा की
जो कीमतें होगी उसमें भी यही मामला बिल्कुल ऐसा ही
0:17:09.420,0:17:16.980
आपको कम देखने के लिए मिलेगा सबसे नीचे स्टेट बोर्ड
बीच में सीबीएसई बोर्ड और सबसे और इससे बोर्ड के
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बच्चों की यूनिफॉर्म और बाकी चीजों की कीमतें होगी
फिर ट्यूशन टीचर्स के मामले में अगर आप देखेंगे तो
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सीबीएसई के ट्यूशन टीचर्स आपको सबसे ज्यादा गिनती
में मिल जाएंगे इससे के टीचर्स उससे थोड़े कम
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मिलेंगे और स्टेट बोर्ड के टीचर्स बहुत कम होते हैं
फिर नेक्स्ट आते हैं हम लोग आरक्षण पर स्टेट के जो
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कॉलेज होते हैं अगर आप ग्रेजुएशन के बाद बच्चे को
चाहते हैं की वो आर्ट की पढ़ाई करें मे कर ले बा
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कर ले हिस्ट्री की पढ़ाई करें या फिर इकोनॉमिक्स की
पढ़ाई करें तो ऐसी चीजों की अगर कोई पढ़ाई कर रहा है
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तो जो सीबीएसई का सिलेबस होगा या फिर स्टेट बोर्ड
का सिलेबस होगा वो सिलेबस उसके लिए ना काफी होगा
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अगर इससे बोर्ड से उसने पढ़ाई की है और आगे वह
फिर आर्ट लेकर के आर्ट के विषय जो ह्यूमैनिटी
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के विषय होते हैं उनके विषय लेकर पढ़ाई कर रहा है
तो उसके लिए थोड़ी सी सुविधा हो जाएगी क्योंकि कई
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चीज उसने बचपन में ही पढ़ ली होगी अपने स्कूल के
सिलेबस में ही पढ़ लिए होंगे तो ये अंतर राहत है
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अंतिम में स्कूल की गिनती अगर देखेंगे तो सबसे
ज्यादा स्कूल स्टेट बोर्ड के होते हैं लेकिन
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नजदीक नजदीक में आपको मिल भी जाएंगे लेकिन फिर भी
उनमें बहुत ज्यादा यह सलाह देने की बात नहीं होती
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या बहुत ज्यादा आपके ऊपर ये नहीं कहा जा सकता
की स्टेट बोर्ड में आप अपने बच्चों को पढ़ाया
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कोशिश कीजिए की सीबीएसई में अगर एडमिशन मिल
पे तो बहुत ही अच्छा होगा आईसीसी अगर आप चुन
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रहे हैं तो आपको पता है की अच्छाइयां क्या
है बुराइयां क्या है उम्मीद है इस जानकारी
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के बाद आप अपने बच्चे के लिए एक ढंग का स्कूल
चुन्नी में थोड़े से ज्यादा सक्षम होंगे धन्यवाद
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