रिकॉर्ड 7 महीने में 66,125 स्कूलों ने बिहार शिक्षा परियोजना एवं यूनिसेफ़ द्वारा शुरू किए गए बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार का पहला चरण पूरा किया
पटना, 5 मई: बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उन्हें स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों की है. 26 प्रधानाध्यापक जिनके सक्षम नेतृत्व में बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (बीएसवीपी) के तहत स्कूलों को राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला, वे अन्य स्कूलों को प्रेरित करने और राज्य भर के स्कूलों में वॉश (जल, स्वच्छता एवं साफ़सफ़ाई) मानकों में सुधार करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे। बिहार सरकार पहले से ही मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छता मानकों में सुधार करने की कोशिश कर रही है। हम बीएसवीपी के पहले चरण को 7 महीने की छोटी अवधि में पूरा करने में सक्षम हुए हैं जो वास्तव में उल्लेखनीय है। यह आयोजन निश्चित रूप से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों को न केवल बिहार एसवीपी बल्कि राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की नामांकन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा। बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (2021) वितरण समारोह सह 2022 के लिए दिशानिर्देशों पर आयोजित कार्यशाला के दौरान ये बातें कहीं।
इस अवसर पर सभी 26 पुरस्कृत प्रधानाध्यापकों एवं उनके विद्यालयों का परिचय देती एक पुस्तिका ‘अग्रणी स्वच्छ विद्यालय: स्वच्छता की कहानी, विजेताओं की ज़ुबानी’ का विमोचन भी किया गया।
बीएसवीपी 2021 के शीर्ष तीन विजेता स्कूलों में मध्य विद्यालय, उफरैल, पूर्णिया, उत्क्रमित इंदिरा आवास मध्य विद्यालय, बिलौटी, भोजपुर और उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बादलपुरा, बेगूसराय शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इन तीनों स्कूलों ने यह उपलब्धि महिला प्रधानाध्यापकों के नेतृत्व में हासिल की है। उत्क्रमित इंदिरा आवास मध्य विद्यालय, बेलौटी, भोजपुर की प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि छात्र-छात्राएं शुरू शुरू में स्वच्छता की जिम्मेदारी लेने से हिचकिचाते थे। लेकिन जब शिक्षक खुद स्कूल परिसर और शौचालय की सफाई करने लगे तो विद्यार्थी भी सफाई की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आए। हमने बच्चों को शौचालय का उपयोग करने बाद एवं मध्याह्न भोजन से पहले हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके लिए पानी व साबुन की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई।
उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बादलपुरा, बेगूसराय की प्रधानाध्यापिका कंचन कुमारी ने कहा कि हमने बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया है। नतीजतन, हमारे छात्रों को अब कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं होती और वे सक्रिय रूप से स्कूल परिसर की साफ़सफाई की जिम्मेदारी ले रहे हैं।
सभी पुरस्कृत प्रधानाध्यापकों और स्कूल स्टाफ के प्रयासों की सराहना करते हुए संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने कहा कि कई स्कूलों में स्कूल परिसर और शौचालयों की सफाई और रखरखाव अभी भी एक बड़ी चिंता है। इसके साथ ही हाथ धोने को आदत के तौर पर बढ़ावा देने की जरूरत है। डीईओ और विभाग के अन्य अधिकारियों को स्कूलों का दौरा करते समय शौचालयों की सफाई और रखरखाव की जांच पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। सम्मिलित प्रयासों से हम बिहार में स्वच्छता को निश्चित तौर पर जन आंदोलन बना सकते हैं।
युनिसेफ बिहार के प्रोग्राम मेनेजर, शिवेंद्र पांड्या ने इस अवसर पर कहा कि कुल 77,983 विद्यालयों में से 72,486 को स्व-नामांकन करते देखना सुखद रहा। इनमें से कुल 66,125 विद्यालयों ने सफलतापूर्वक नामांकन की पूरी प्रक्रिया अबतक पूरी कर ली है। उन्होंने कार्य के और गति पकड़ने की आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जो बचे हुए विद्यालय हैं, वो भी आने वाले वर्षों में नामांकन पूरा कर लेंगे। बीएसवीपी की वेबसाइट के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि अभी तो ये एक बाहरी संस्था की देखरेख में है, लेकिन वेबसाइट का काम भी जल्दी ही विभाग के शैक्षणिक वेबसाइट के साथ चलने लगेगा।
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छब्बीस स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ साथ 38 जिलों से डीईओ, डीपीओ एवं सहायक अभियंता भी इस पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। पुरस्कार वितरण के पश्चात जिला स्तर के शैक्षणिक अधिकारियों ने बीएसवीपी 2021 की अब तक की यात्रा पर चर्चा करते हुए इसके मुख्य बिन्दुओं, चुनौतियों और समस्याओं के साथ साथ कैसे इन दिक्कतों को दूर किया गया, इस बारे में एक दूसरे से जानकारी साझा की।
श्रीकांत शास्त्री, राज्य परियोजना निदेशक, बीईपीसी ने कहा कि हम बीएसवीपी की यात्रा को उसके मुकाम तक पहुँचाने के लिए कृतसंकल्प हैं। इस मौके पर उन्होंने स्कूलों की ओर से वाश (डब्ल्यूएएसएच) युनिसेफ के सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।
यूनिसेफ बिहार के वाश विशेषज्ञ, प्रभाकर सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार को कुछ सुधारों के साथ 2022 में पुनः शुरू किया है। उन्होंने कहा कि आज की परिचर्चा में हमने इसपर भी विस्तार से चर्चा की। इसके जरिये बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर स्व-नामांकन, पोर्टल पर जानकारी देने जैसे मुद्दों में समानता और अंतर पर भी बात की गई। उन्होंने कहा कि इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य बीएसवीपी और एनएसवीपी की यात्रा और 2022 के लिए दिशानिर्देश तैयार करना रहा। इससे भविष्य में विद्यालयों को एक स्तर पर लाने में भी मदद मिलेगी।
बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (बीएसवीपी) की पृष्ठभूमि
शिक्षा विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के नाम से पर्याप्त, कार्यात्मक वॉश सुविधाएं और अभ्यास प्रदान करके स्कूलों में बच्चों के अनुकूल वातावरण बनाने के उद्देश्य से स्कूल बेंचमार्किंग सिस्टम में राज्य विशिष्ट वॉश और पुरस्कार दिशानिर्देश विकसित किए गए थे। इसे 30 सितंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था।
स्व-नामांकन प्रक्रिया 15 नवंबर 2021 से शुरू हुई और कुल 66125 स्कूलों ने निर्धारित समय सीमा यानी 31 दिसंबर 2021 के भीतर सभी तरह से प्रक्रिया पूरी कर ली है। बाद में, राज्य स्तर पर पुरस्कार चयन समिति द्वारा विभिन्न स्तरों अर्थात ब्लॉक, जिला और राज्य में पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ स्कूलों की पहचान करने हेतु ब्लॉक एवं जिलों में स्कूलों का भौतिक सत्यापन किया गया है। तद्नुसार, वर्ष 2021 के लिए कुल 5288 विद्यालयों को ब्लॉक स्तरीय पुरस्कार के लिए, 355 विद्यालयों को जिला स्तरीय पुरस्कार के लिए तथा 26 विद्यालयों को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ बिहार के वॉश अधिकारी सुधाकर रेड्डी समेत यूनिसेफ और बीईपीसी के अधिकारी उपस्थित रहे। बीईपीसी के सिविल वर्क्स मैनेजर भोला प्रसाद सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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