’बिहार संग्रहालय बिएनाले- 2025’ के अंतर्गत ‘‘पटना कलम: एक विरासत‘‘ विषय पर एक ऐतिहासिक प्रदर्शनी का उद्घाटन संध्या 4ः00 बजे पटना संग्रहालय परिसर, बुद्ध मार्ग, पटना में किया गया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित करके माननीय मंत्री श्री अरुण शंकर प्रसाद, कला एवं संस्कृति-सह-पर्यटन विभाग, बिहार द्वारा किया गया।
कला एवं संस्कृति मंत्री अरूण शंकर प्रसाद, मंत्री, कला संस्कृति एवं पर्यटन विभाग ने अपने संबोधन में कहा कि पटना हमेशा से ही कला-संस्कृति का संगम रहा है। यहां कई शासकों और साम्राज्यों का शासन रहा। हर किसी की विरासत को इस शहर ने संजोया है। पटना कलम का यह विरासत लुप्तप्राय हो चुकी थी, लेकिन हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल दिशा-निर्देशन में महानिदेशक अंजनी बाबू ने यह बीड़ा उठाया है। यह काबिलेतारीफ है। मैं इसके लिए बिहार संग्रहालय तथा पटना संग्रहालय की पूरी टीम को धन्यवाद एवं शुभकामनाएं देता हूं। हमें उन कलाकारों के प्रति भी आभारी होना चाहिए, जिन्होने विषम परिस्थितियों में भी तत्कालीन समाज का जीवंत चित्रण किया है।
उद्घाटन की अध्यक्षता करते हुए श्री अंजनी कुमार सिंह, महानिदेशक, बिहार संग्रहालय ने कहा कि आज से सात-आठ वर्षों पूर्व मैंने पटना कलम को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू किया था। जब पटना संग्रहालय का प्रबंधन बिहार संग्रहालय के पास आया, तो यहां मौजूद पटना कलम चित्रों का संग्रह देख कर मैं दंग रह गया. मेरी जानकारी में सबसे पुरानी पटना कलम की पेंटिंग ब्रिटिश म्यूजियम में है. इसके अलावा कुछ पेंटिंग लंदन के अल्बर्ट म्यूजियम में भी है. कारण इन पेंटिंग्स को अंग्रेज यहां से खरीद कर या अपनी इच्छानुसार बनवा कर अपने देश ले जाते थ। मेरा इस प्रदर्शनी को आयोजित करने का उद्देश्य था- पटना शहर की इस खूबसूरत विरासत से आम लोगों को परिचित कराना और उन्हें अपनी कला विरासत पर गर्व करने का मौका देना। राज्य सरकार को चाहिए कि वह अब मिथिला पेंटिंग तथा अन्य कलाओं की तरह पटना कलम पेंटिंग को भी बढावा दे, ताकि वैश्विक स्तर पर इसकी गरिमा पुनस्र्थापित हो. कलाकार एवं कला विशेषज्ञ भी इसे फिर से बनाना शुरू करें. हमलोग भी इसे अपने स्तर से बाजार देने का प्रयास करेंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद श्री प्रणव कुमार, सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग, बिहार सरकार ने बताया कि पटना कलम के नाम से जाहिर है कि यह पटना के लिए कितना खास है. कला के क्षेत्र में यह आधुनिक और समसामयिक कला है. कला समाज का दर्पण होता है. यह बात पटना कलम के चित्रों को देखकर स्पष्ट होता है. इस शैली में दिन-प्रतिदिन की छोटी-छोटी घटनाओं को चित्र के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है. विभाग भी निरंतर इस तरह की लोक कलाओं को आगे बढाने के लिए प्रयासरत हैं. इन कलाकृतियों को डिजिटल रूप से प्रदर्शित करने की दिशा मेंरी काम जारी है. इस वर्ष इस दिशा में गुरु-शिष्य योजना भी लाॅन्च की गयी है.
प्रदीप जैन, कला संरक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि आज पटना कलम की हमारी राष्ट्रीय विरासत पटना म्यूजियम गैलरी में प्रदर्शित हो रही है, इस बात की मुझे बेहद खुशी है. मेरी जानकारी में पूरे विश्व में आजादी के बाद से अब तक पटना कलम चित्रों की यह पहली एक्सक्लूसिव प्रदर्शनी है. आज अंजनी बाबू की वजह से हमारी बिहार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की विषय बना हुआ है, इसके लिए वह और उनकी पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है.
संजय कुमार लाल, कला संरक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे पूर्वज राजदूतावास दरबार से होते हुए मुगल दरबार से मुर्शिदाबाद होते हुए पटना में आए. उन्होने पटना कलम की कई सारी पेंटिंग्स बनाईं. उनमें से करीब 400 पेंटिंग्स आज भी हमारे पास सुरक्षित है. फिलहाल हमारे कलेक्शन की 80 पेंटिंग यहां प्रदर्शनी में लगी है. आगे बाकी पेंटिंग्स को भी लगाने की योजना है.
आरंभ में अशोक कुमार सिन्हा अपर निदेशक, बिहार संग्रहालय ने अपने स्वागत-भाषण में कहा कि आजादी के बाद पटना कलम की यह पहली पटना कलम की बारीकी और मांग इस कदर रही है कि विदेशी भी अपने देश से यह कला सीखने आते थे. इससे हमें पता चलता है कि पटना कलम की ख्याति कितनी अधिक थी।
कार्यक्रम के अंत में सुनील कुमार झा, अपर निदेशक, पटना संग्रहालय ने सभी आगत अतिथियों एवं संग्रहालय टीम के सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापन किया. साथ ही यह जानकारी दी कि वर्तमान प्रदर्शनी में प्रदर्शित 120 पेंटिंग्स के अलावा 150 से 200 पेंटिंग्स का संग्रह पटना संग्रहालय में और भी है, जिन्हें भविष्य में इसी तरह से प्रदर्शित किया जाएगा।
