स्पेसडॉटकॉम ने द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी और जिनेवा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स हमारे सौर मंडल के अतीत के बारे में जानने के लिए कई तकनीकों का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने चंद्रमा के दीर्घकालिक इतिहास को सामने लाने के लिए पृथ्वी पर एक सही जगह की खोज की है। ये जगह वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में है। यहां के करिजिनी नेशनल पार्क में कुछ घाटियां जो 2.5 अरब साल पुरानी हैं, एक विशेष तरीके से तलछट को काटती हैं। ये तलछट लोहे की संरचनाएं हैं, जिनमें लोहे और सिलिका युक्त खनिजों की विशिष्ट परतें शामिल हैं, जो कभी समुद्र तल पर जमा होती थीं और अब पृथ्वी के सबसे पुराने हिस्सों में पाई जाती हैं।
इनकी जांच से पता चलता है कि अतीत में पृथ्वी के साथ बहुत कुछ घटा होगा। रिसर्चर्स ने इन घाटियों की जांच और अपनी गणना से अनुमान लगाया है कि 2.5 अरब साल पहले चंद्रमा और पृथ्वी के बीच दूरी 60 हजार किलोमीटर कम रही होगी। रिसर्चर्स का कहना है कि आज जो दूरी 384,400 किलोमीटर है, वह ढाई अरब साल पहले 321,800 किलोमीटर थी और दिन की लंबाई 24 घंटों की जगह 16.9 घंटे थी। रिसर्चर्स का कहना है कि अरबों साल पहले चंद्रमा हकीकत में हमारे ग्रह के करीब था और अब यह धीरे-धीरे दूर हो रहा है।
यह भी बताया गया है कि साल 1969 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अपोलो मिशन ने चंद्रमा पर रिफ्लेक्टिव पैनल इंस्टॉल किए थे, इनसे पता चलता है कि चंद्रमा वर्तमान में हर साल पृथ्वी से 3.8 सेंटीमीटर दूर जा रहा है। अगर इसी रफ्तार से हम समय में पीछे जाएं, तो पता चलता है कि लगभग 1.5 अरब साल पहले पृथ्वी और चंद्रमा के बीच टक्कर हुई होगी। हालांकि चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था। इसका मतलब है कि मौजूदा आंकड़े अरबों साल पुराने समय को गाइड करने के लिए काफी कमजोर हैं। हालांकि नई रिसर्च से अर्थ-मून सिस्टम को समझने में जरूर मदद मिल सकती है।
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