नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के अनुसार, ‘एस्टरॉयड 2023 KW2′ कल यानी 6 जून को पृथ्वी के करीब आएगा। इस दौरान दोनों के बीच दूरी 45 लाख 30 हजार किलोमीटर तक सिमट जाएगी। यह दूरी आपको बहुत ज्यादा लग सकती है, लेकिन अंतरिक्ष की विशालता के आगे कुछ भी नहीं। नासा के अनुसार, ‘एस्टरॉयड 2023 KW2′ पृथ्वी की ओर 36 हजार 350 किलोमीटर की स्पीड से आ रहा है।
करीब 210 फुट आकार का यह एस्टरॉयड एयरोप्लेन जितना बड़ा है और एस्टरॉयड्स के अपोलो ग्रुप से ताल्लुक रखता है। जैसाकि नाम से ही पता चलता है कि इस चट्टानी आफत को इसी साल खोजा गया है। वैज्ञानिक इसे तब तक मॉनिटर करते रहेंगे, जब तक यह पृथ्वी से दूर नहीं चला जाता। एस्टरॉयड्स कभी भी अपनी दिशा बदल सकते हैं। अगर इनका फोकस पृथ्वी की ओर हो और ये हमारे ग्रह से टकरा जाएं, तो बड़ी तबाही मचा सकते हैं।
वैज्ञानिक मानते आए हैं कि करोड़ों साल पहले हमारी धरती से डायनासोरों का खात्मा भी एक एस्टरॉयड की टक्कर के बाद मचे विनाश से हुआ था। साल 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क शहर पर 59 फुट चौड़ा एक एस्टरॉयड क्रैश हो गया था। उसके आने की भनक किसी को नहीं लगी थी। एस्टरॉयड के क्रैश होने से इलाके की 8000 इमारतों को नुकसान पहुंचा था और एक हजार लोग घायल हो गए थे।
एस्टरॉयड जब पृथ्वी के करीब आते हैं, तो वैज्ञानिक इनके और पृथ्वी के बीच की दूरी को देखते हैं। इसके लिए सैटेलाइट और रडार की मदद ली जाती है। ज्यादातर एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मेन एस्टरॉयड बेल्ड में परिक्रमा करते हैं, लेकिन कई एस्टरॉयड की कक्षाएं ऐसी होती हैं, जो पृथ्वी के पास से गुजरती हैं।
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