पटना, 12 मार्च, 2021: सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा एक नेशनल कांफ्रेंस ‘वाटर टू एवरी फार्म: बिल्डिंग क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर इन बिहार’ का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘हर खेत को सिंचाई का पानी’ को मजबूत करने पर विचार-विमर्श करना था, ताकि कृषि को जलवायु संकट से सुरक्षित और सततशील बनाते हुए तीव्र विकास को सुनिश्चित किया जा सके। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के लिहाज से बिहार देश के सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है, जहां कृषि के सन्दर्भ में देश के सबसे संवेदनशील 20 जिलों की सूची में राज्य के 16 जिले आते हैं। राज्य के 38 जिलों में से 36 जिले जलवायु परिवर्तन के लिहाज से गंभीर या काफी संवेदनशील हैं। कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था का आधारस्तम्भ है और पानी खेती का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन, ऐसे में कृषि एवं जल के संदर्भ में क्लाइमेट चेंज का समाधान राज्य की आर्थिक सुरक्षा और खुशहाली के लिए अत्यावश्यक है।

क्लाइमेट चेंज के परिप्रेक्ष्य में कृषि सिंचाई और जल संकट के समाधान पर केंद्रित इस सम्मेलन में विविध स्टेकहोल्डर्स जैसे सरकारी विभागों, उद्योग संगठनों, रिसर्च थिंक टैंक, किसान संघों और सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों ने जलवायु अनुकूल कृषि और जल प्रबंधन पद्धतियों के ठोस क्रियान्वयन पर जोर दिया।

कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि माननीय श्री संजय कुमार झा, जल संसाधन विकास, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री (बिहार सरकार) ने कहा कि “राज्य सरकार के ‘सात निश्चय-2’ पहल के तहत हर खेत को पानी उपलब्ध कराना एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है और हम सभी किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि कृषि क्षेत्र प्रकृति के कोप के रूप में हरेक साल सुखाड़ और बाढ़ का सामना कर रहा है और हाल के वर्षों में क्लाइमेट चेंज के कारण हम इनकी विभीषिका झेल चुके हैं. ऐसे में क्लाइमेट चेंज के दुष्परिणामों से कृषि एवं किसानों की सुरक्षा से जुड़े सभी समाधानों का और हरेक खेत तक सिंचाई सुविधा से संबंधित उपायों का स्वागत है और इन्हें इस योजना में शामिल किया जायेगा ताकि जन-जन तक इसके लाभों को पहुँचाया जा सके।”

कभी अथाह जल स्रोतों के लिए विख्यात बिहार को पिछले दशक से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर और दक्षिण बिहार के 21 जिलों और गंगा से सटे इलाकों में भूजल का दोहन खतरनाक स्तर पर है, जो पारम्परिक जल स्रोतों की अनदेखी एवं दुरूपयोग से गंभीर हो गया है। राज्य में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या ज्यादा (92%) है, जो खरीफ और रबी फसलों की सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं। इससे पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को लेकर कृषि किस हद तक संवेदनशील है। दरअसल दो प्रमुख समस्याओं, सतही जल के स्तर में भारी कमी और भूजल का अत्यधिक दोहन, के पीछे बढ़ती आबादी का दबाव, जल-प्रधान फसलों पर ज्यादा निर्भरता, पानी बर्बाद करने की प्रवृति और जल प्रबंधन के समुचित क्रियान्वयन में दिक़्क़ते जैसी समस्याएं हैं। चूँकि 77 प्रतिशत आबादी जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर आश्रित है, ऐसे में कृषि व जल संकट का समाधान जरूरी है.

कांफ्रेंस के व्यापक उद्देश्यों का समर्थन करते हुए विशिष्ट अतिथि माननीय श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार सरकार ने कहा कि, “राज्य सरकार जल जीवन हरियाली मिशन को सफलतापूर्वक चला रही है, जिसके तहत हम बड़े पैमाने पर पारंपरिक जल संरचनाओं जैसे आहर, पाइन, कुंओं का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कर रहे हैं ताकि भूजल स्तर में बढ़ोतरी करते हुए सिंचाई एवं अन्य घरेलू उपयोग के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार सिंचित भूमि का दायरा बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रही है और राज्य में हरेक किसान को सिंचाई सेवाएं प्रदान करने एवं कृषि को लाभपरक एवं आकर्षक पेशा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

इस अवसर पर सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि, “क्लाइमेट चेंज के सन्दर्भ में बिहार की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए हमें कृषि को जलवायु संकट से निबटने में सक्षम और सुरक्षित बनाना होगा. इस सन्दर्भ में ‘हर खेत को पानी’ उपलब्ध कराना एक सराहनीय योजना है, हालांकि इसे जल, जीवन, हरियाली मिशन के उद्देश्यों के साथ जोड़ने की जरूरत है, ताकि सततशील और कुशल जल प्रबन्धन के जरिए कृषि और अन्य गतिविधियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. चूँकि क्लाइमेट चेंज के कारण कृषि और जल संकट से आम लोगों की आजीविका और जीवन प्रभावित हो रही है, ऐसे में ‘हर खेत को पानी’ योजना की सफलता केवल जल संसाधन और कृषि विभाग पर निर्भर नहीं करती बल्कि इसके लिए ग्रामीण विकास, ऊर्जा, लघु सिंचाई, वित्त आदि विभागों के बीच कन्वर्जेन्स और एकीकृत विज़न के साथ तालमेल जरूरी है।”

कांफ्रेंस को प्रो (डॉ) प्रभात पी घोष, निदेशक, एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट (आद्री) ने भी संबोधित किया और तकनीकी सत्र में श्री नंद किशोर (आईएफएस), डायरेक्टर-हॉर्टिकल्चर, बिहार सरकार; विवेक तेजस्वी, डिप्टी डायरेक्टर, आद्री; श्री नन्द किशोर झा, चीफ इंजीनियर, प्लानिंग-मॉनिटरिंग, जल संसाधन विभाग; डॉ अनामिका प्रियदर्शिनी, महिला किसान; गोपाल कृष्ण, पब्लिक पॉलिसी एनालिस्ट; श्री एकलव्य प्रसाद, मेघ पाइन अभियान; धीरज कुमार, जैन इरीगेशन; राहुल सिंह, प्रदान; और श्री अभिषेक प्रताप, एनर्जी एक्सपर्ट, असर ने भागीदारी की, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के जोखिम के सन्दर्भ में वाटर, एग्रीकल्चर और एनर्जी से जुडी समस्यायों के समाधान पर बल दिया। कॉन्फ्रेंस में सहमति बनी कि सिंचाई तंत्र और समूचे एग्रो वैल्यू चेन को मजबूत करने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि और कुशल जल प्रबंधन का प्रसार होना चाहिए।

असर सोशल इम्पैक्ट के सहयोग से आयोजित इस कांफ्रेंस में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर आए, जैसे भूजल की प्रचुरता के कारण बिहार अब खाद्यान्न उत्पादन का अगला केंद्र माना जा रहा है, जो राज्य के समक्ष यह बड़ा दायित्व पेश करता है कि वह जल संसाधन का सततशील ढंग से प्रबंधन करे. सभी एग्रो क्लाइमेट इलाकों में एक विस्तृत अध्ययन की जरूरत है, ताकि जल संसाधन की कमी या प्रचुरता के अनुरूप जल प्रबंधन किया जा सके. पारंपरिक जल संरचनाओं के संरक्षण एवं प्रबंधन में समुदायों की भागीदारी, बाढ़ग्रस्त इलाकों में ड्राई लैंड फार्मिंग को हतोत्साहित करना और जल संकट वाले क्षेत्रों में कम पानी में ज्यादा उपज देने वाली फसलों को बढ़ावा देना चाहिए. इन उपायों से बिहार को देश का अग्रणी राज्य बनाने में मदद मिलेगी.

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed