स्पेसडॉटकॉम के अनुसार, मिथाइलेशन की प्रक्रिया में ब्रोकली यानी गोभी, शैवाल (algae) और पृथ्वी पर पाए जाने वाले कई अन्य पौधे और माइक्रोब्स एक विशेष काम करते हैं। वह अपने अंदर से विषाक्त पदार्थों को गैसों में बदलकर बाहर निकालते हैं। अगर ये गैसें किसी एक्सोप्लैनेट (exoplanets) के वायुमंडल में मौजूद हैं, तो जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb telescope) की मदद से वहां देखा जा सकता है। ध्यान रहे कि एक्सोप्लैनेट वो ग्रह हैं, जो सूर्य के अलावा अन्य ग्रहों की परिक्रमा करते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइज के प्लैनेटरी साइंटिस्ट माइकेला लेउंग ने हाल ही में एक स्टडी को लीड किया, जो बताती है कि इन गैसों को किसी भी चीज से उत्सर्जित किया जा सकता है। हालांकि एक बयान में उन्होंने कहा कि नॉन बायोलॉजिकल साधनों से इस गैस को बनाने के तरीके सीमित हैं, इसलिए पृथ्वी के बाहर अगर इसका पता चलता है, तो यह जीवन का संकेत हो सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्वालामुखी विस्फोटों से भी मिथाइलेटेड गैसें उत्पन्न होने की कुछ संभावना है, लेकिन जीवित जीव इसके प्रमुख प्रोड्यूसर हैं। ये गैसें मिड-इन्फ्रारेड में दिखाई देती है, इसलिए जेम्स वेब टेलीस्कोप इन्हें आसानी से ढूंढ सकता है। अगर यह गैसें किसी ग्रह के चारों ओर हैं, तो जेम्स वेब पता लगा सकता है।
वैज्ञानिकों को जिन मिथाइलेटेड गैसों को तलाश है, उनमें मीथेन के अलावा मिथाइल ब्रोमाइड (CH3Br) और मिथाइल क्लोराइड (CH3Cl) शामिल हैं। अगर ये गैसें किसी ग्रह के आसपास उसके वायुमंडल में मिलती हैं, तो वहां फोकस किया जा सकता है। पता लगाया जा सकता है कि उस ग्रह या एक्साेप्लैनेट पर क्या चल रहा है। ऐसे एक्सोप्लैनेट जो M-बौने तारे का चक्कर लगाते हैं, उनके वायुमंडल में भी यह गैसें मिल सकती हैं।